जमशेदपुर : राज्य की बदहाल आर्थिक स्थिति और प्रशासनिक असंतुलन को लेकर आज रांची में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के बीच एक अनौपचारिक बैठक हुई. इसमें झारखंड की जमीनी समस्याओं पर गंभीर चर्चा हुई. किसानों, मजदूरों, युवाओं और विद्यार्थियों से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया गया.
किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं
विचार-विमर्श के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि प्रदेश में किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. सिंचाई, बीमा और समर्थन मूल्य जैसी बुनियादी जरूरतों की अनदेखी से कृषि संकट गहराता जा रहा है. मजदूरों को रोजगार की तलाश में लगातार पलायन करना पड़ रहा है. इससे राज्य की सामाजिक-आर्थिक संरचना प्रभावित हो रही है.
शिक्षा और बेरोजगारी पर चिंता
शिक्षा और बेरोजगारी की स्थिति को लेकर भी गंभीर चिंता जताई गई. युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता के अभाव में भविष्य की अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है. तकनीकी शिक्षा संस्थान और रोजगारपरक प्रशिक्षण केंद्र पर्याप्त संसाधनों के अभाव में प्रभावहीन साबित हो रहे हैं.
राज्य में सही तरीके से लागू नहीं हो रही केंद्र की योजनाएं
दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा भेजी जा रही योजनाएं राज्य स्तर पर सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही है. भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही के कारण आम जनता तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच रही है. सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ बाहरी गतिविधियों और सांस्कृतिक हस्तक्षेपों को लेकर भी चिंता जताई गई. बैठक के उपरांत मधु कोड़ा ने कहा कि झारखंड की आत्मा उसकी परंपरा और प्रकृति में बसती है. इसे बचाए रखकर ही विकास संभव है.