ASHOK KUMAR
जमशेदपुर : अमरेंद्र कुमार मिश्रा ने झारखंड अलग राज्य बनने के पहले 1998 में रेलवे की नौकरी हासिल की थी. आज वे इस दुनिया में नहीं है. अगर वे होते तब एसईआरएमसी कुछ होता. उन्होंने अपने कार्यकाल में जो किया था उसे आज भी रेल कर्मचारी याद करते हैं.
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नये रेल कर्मचारियों का बन गए थे चहेता
अमरेंद्र कुमार मात्र चार सालों में ही नये रेल कर्मचारियों के लिए चहेता बन गए थे. कारण यह है कि किसी भी रेल कर्मचारी की समस्या को लेकर सबसे पहले समाधान के लिए पहुंचते थे.
नए रेल कर्मचारियों को किया जोड़ने का काम
अमरेंद्र मिश्रा ने एसईआरएमसी ज्वाइन करने के साथ ही नए रेल कर्मचारियों को जोड़ने का काम शुरू किया था. काफी कम समय में ही उनकी पहचान युवा रेल नेता के रूप में बन गई थी.
अधिकारियों को देते थे टका सा जवाब
अमरेंद्र रेल कर्मचारियों की समस्या को लेकर समाधान की कोशिश करते थे और रेल के वरीय अधिकारियों को भी टका सा जवाब देने से नहीं चुकते थे. अस्पताल की समस्या हो या लोको शेड की. आज भी उनकी चर्चा होती है.
