Ashok Kumar
जमशेदपुर : झारखंड सरकार की ओर से बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं किये जाने से निर्माण कार्य पर इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा है. इसका खामियाजा मजदूर वर्ग पर भी खासा पड़ रहा है. उनके लिये काम का अभाव हो गया है. बालू घाटों की बंदोबस्ती की अभाव में उंचे दाम में बालू बेचे जा रहे हैं. वर्तमान में निर्माण कार्य काफी महंगा साबित हो रहा है. जबतक सरकार की ओर से बालू की समस्या का समाधान नहीं किया जाता है तबतक मजदूर वर्गों की भी परेशानी बरकरार रहेगी.
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बालू की अभाव में नहीं मिल रहा काम
जामबनी के रहनावाले सीमल महतो ने बताया कि बालू का अभाव होने के कारण उन्हें रोजाना काम नहीं मिल पा रहा है. बालू समाप्त होने के बाद उन्हें काम बंद कर देना पड़ता है. बालू जब आता है तब मालिक की ओर से फोन करके बुलाया जाता है.
परिवार चलाने में हो रही परेशानी
बोड़ाम के मजदूर निमाई महतो ने कहा कि वे रोजगार की तलाश में रोजाना मानगो चौक पर आते हैं. उन्हें किसी दिन काम मिलता है तो किसी दिन काम के अभाव में ही वापस लौटना पड़ता है. निमाई ने बताया कि काम नहीं मिलने का मुख्य कारण यह है कि जहां पर वे काम करते हैं वहां पर बालू का अभाव हो गया है. इस कारण से पूरा काम ही बंद पड़ा हुआ है.
कोरोनाकाल के बाद से है ऐसी स्थिति
पोटका चांदपुर के रहनेवाले विनोद दास ने बताया कि कोरोनाकाल के बाद से मजदूरों की तो जैसी कमर ही टूट गयी है. उन्हें काम मिलना कम हो गया है. अगर काम भी कहीं पर मिलता है तो मालिक की ओर से बताया जाता है कि बालू का अभाव है. काम जब शुरू होगा तब बुला लिया जायेगा. मजदूरों ने कहा कि समस्या समाधान सरकार को करनी चाहिये.
40 किलोमीटर दूर से आते हैं मजदूर
घाटशिला फूलडुंगरी के रहनेवाले शिवा सरदार ने बताया कि वे 40 किलोमीटर दूर से मानगो चौक रोजाना आते हैं. किसी दिन काम मिलता है तो किसी दिन निराशा हाथ लगती है. उनका कहना है कि बालू के अभाव में काम बंद होने के कारण उन्हें ज्यादा परेशानी हो रही है. शिवा ने बताया कि काम नहीं मिलने का मुख्य कारण है गिट्टू और बालू का अभाव.
जिला खनन पदाधिकारी ने क्या कहा
बालू घाट की बंदोबस्ती के बारे में पूर्वी सिंहभूम के जिला खनन पदाधिकारी संजय कुमार शर्मा ने कहा कि 12 बालू घाटों को चिंहित कर लिया गया है. जिला सर्वेक्षण की रिपोर्ट विभाग को भेज दी गयी है. विभाग की ओर से आदेश आते ही बालू घाटों की बंदोबस्ती की दिशा में पहल की जायेगी.
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