JAMSHEDPUR RAIL NEWS :आखिर टाटानगर रेलवे स्टेशन के आस-पास की रेलवे की जमीन पर कैसे अतिक्रमण हो गया. आखिर आरपीएफ क्या कर रही थी. क्या आरपीएफ और रेल अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी थी. और अगर भनक भी लगी तब अपनी तरफ से किस तरह का कदम उठाया गया. इसी तरह से कई सवाल अतिक्रमणकारियों की ओर से उठाए जा रहे हैं.
अब अतिक्रमणकारी यह कह रहे हैं कि आखिर रेलवे को अतिक्रमण हटाने की नौबत ही क्यों आन पड़ी है. रेल अधिकारियों और आरपीएफ की ओर से क्यों पहले ही अतिक्रमणकारियों को नहीं रोका गया. क्यों उन्हें बसने दिया गया.
आक्रोश में हैं स्थानीय लोग
रेलवे की जमीन से अगर कब्जा हटाया जाता है तो करीब एक लाख की आबादी इससे प्रभावित होगी. इसका प्रभाव भी बुरा ही पड़ेगा. रेलवे की जमीन पर जुग्गी-झोपड़ी और आलीशान ईमारत तक बनाए गए हैं.
रातोंरात नहीं हुआ अवैध कब्जा
रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा रातोंरात नहीं हो गया. बल्कि बदस्तुर जारी है. इसमें रेल के टाटानगर के विभागीय अधिकारियों और आरपीएफ की मिली-भगत होती है. ऐसा कब्जा करनेवाले लोग ही कह रहे हैं. उनका कहना है कि रुपये लेकर मकान बनवाया जाता है.
रेलवे की जमीन के मालिक हैं अधिकारी
रेलवे की जमीन की मालिक रेल अधिकारियों को ही कहा जाता है. टाटानगर की बात करें तो इसके लिए भी अलग से लैंड विभाग के अधिकारी हैं. उनके जिम्मे ही सबकुछ है. कब्जा एक दिन में तो हुआ नहीं है. इसके लिए पहले के अधिकारी भी कम जिम्मेवार नहीं हैं.
अब जिला प्रशासन से सहयोग मांगा
रेलवे की जमीन पर जब अवैध कब्जा हो रहा था तब जिला प्रशासन तक यह मामला नहीं पहुंचा. अब जब कब्जा हटाने की बात हो रही है जब मामला जिला प्रशासन तक पहुंचा है. जिला प्रशासन से सहयोग की मांग रेलवे की ओर से की गई है. पूर्वी सिंहभूम जिले के डीसी और एसएसपी भी बिल्कुल ही नए हैं. उन्हें यहां की गतिविधियों की जानकारी तक नहीं है.