ईचागढ़ : कई दिनों से बीमार चल रही कावेरी (हथिनी) की मौत के बाद वन विभाग की ओर से ईचागढ़ के कुटाम जंगल में सोमवार को उसे दफना दिया गया. इस बीच गांव के लोग बड़ी संख्या में कावेरी को देखने के लिये उमड़ पड़े थे. गांव के लोग कावेरी को धरती की गोद में सदा के लिये सोय हुये देख आश्चर्य कर रहे थे. उन्हें लग रहा था कि कावेरी अब उठेगी और गांव में लगे सब्जी के खेत में जाकर हुड़दंग मचायेगी, लेकिन गांव के लोगों की कल्पना उड़ान नहीं भर सकी.
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नम आंखों से दी गयी कावेरी को अंतिम विदायी
कावेरी का नियमतः अंतिम संस्कार करने के लिये वन विभाग की ओर से कुटाम जंगल में जेसीबी मंगवाया गया था. इसके बाद जेसीबी से जरूरत के हिसाब से गड्ढ़ कर कावेरी को दफना दिया गया. गांव के लोगों ने बताया कि रविवार की देर रात ही कावेरी की मौत हो गयी होगी. गांव के लोग जब सोमवार की सुबह कुटाम जंगल की तरफ गये थे तब कावेरी को जमीन पर पड़ा देखा था. इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी गयी थी.
पोस्टमार्टम के बाद किया अंतिम संस्कार
कावेरी की मौत के बाद वन विभाग की ओर से उसका पोस्टमार्टम कराया गया. इसके लिये पशु चिकित्सकों की टीम भी कुटाम जंल में पहुंची थी. गांव के लोगों का कहना है कि वृद्ध कावेरी को करीब तीन बर्षो से बंगाल, तमाड़ और ईचागढ़ क्षेत्र में विचरण करते हुये देखा जा रहा था. कुछ दिनों से कावेरी ठीक से चल फिर नहीं पाती थी. देखने में भी उसे परेशानी होती है. अधिकांश समय गांव में खेतों में जाकर सब्जियां खाकर पेट भरती थी. वन विभाग की ओर से कुछ दिनों पूर्व चिकित्सा भी कराया गया था. बताया जा रहा है कि वह दो दिन पहले भटकते हुये कुटाम जंगल पहुंच गयी थी.
वनपाल मुकेश महतो ने क्या कहा
वनपाल मुकेश महतो ने कावेरी के बारे में बताया कि कुछ दिनों से कावेरी काफी कमजोर हो गई थी. इलाज भी कराया गया था. काफी उम्रदराज होने के कारण उसकी मौत हो गयी है. मौत के बाद कावेरी का पोस्टमार्टम भी कराया गया. इसके बाद उसे विधिवत जंगल में ही दफना दिया जाएगा. मौके पर वनपाल राधारमण ठाकुर, पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ हरेलाल महतो, हाथी मित्र तापस कर्मकार भी मौजूद थे.
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