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ICHAGARH- तीन पंचायत के गांव में आज तक नहीं बना एक अदद रास्ता, वोट के बहिष्कार की हो रही चर्चा
एक ओर चांद पर बसने की बात की जाती है, देश आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं एक नहीं, बल्कि तीन पंचायत में पड़ने वाले कांकीटाड़ गांव के ग्रामीण आज भी एक टापूनुमा गांव में गुजर बसर करने को मजबूर हैं. हालत यह है कि 20वीं सदी में भी यह गांव रोड-रास्ता जैसी बुनियादी विकास योजनाओं का इंतजार कर रहा है.
ईचागढ़ : सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के कांकीटाड़ गांव आजादी के इतने वर्षों के बाद भी एक अदद रास्ता के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं. एक ओर चांद पर बसने की बात की जाती है, देश आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं एक नहीं, बल्कि तीन पंचायत में पड़ने वाले कांकीटाड़ गांव के ग्रामीण आज भी एक टापूनुमा गांव में गुजर बसर करने को मजबूर हैं. दरअसल, कांकीटाड़ गांव में तीन टोला है. यह तीनों टोला अलग अलग पंचायत में पड़ता है. सितु, सोड़ो और तूता पंचायत के अन्तर्गत आने वाले कांकीटाड़ गांव में करीब डेढ़ सौ परिवार निवास करते हैं. (नीचे भी पढ़ें)
चारों ओर खेतों से घेरा हुआ यह गांव 20वी सदी में भी रोड-रास्ता जैसी बुनियादी विकास योजनाओं का इंतजार कर रहा है. स्कूल के बच्चों को सितु, पिलीद और आस-पास के जगहों पर पढ़ाई के लिए स्कूल जाना पड़ता है. खेतों के मेड़ों पर पगडंडी रास्ते पर साइकिल ठेलकर या पैदल मुख्य सड़क पर करीब एक किलोमीटर तक जाना पड़ता है. बरसात के दिनों में धान लगे खेतों के मेड़ों को ही रास्ता के रूप में प्रयोग किया जाता है. गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाय तो उसे खटिया पर ढोकर मुख्य सड़क तक निकालना पड़ता है. हालत यह है कि आज तक कांकीटाड़ वासीयों को न गांव की सरकार, न राज्य सरकार और न ही केन्द्र सरकार ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं को यहां तक पहुंचाने में दिलचस्पी दिखाई है. (नीचे भी पढ़ें)
ग्रामीण बताते हैं कि चुनाव के समय तो नेता लोग गांव पहुंचते हैं, बड़े-बड़े वादे कर चले जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद सभी वायदे भूल जाते हैं. वहीं गांव की महिला उमा देवी ने कहा कि हमारे गांव से निकलने के लिए आज तक रास्ता नहीं बनाया गया. यहां कुछ भी विकास का काम नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ वोट डालते हैं, इस विश्वास पर कि इस बार हमारे गांव में भी रास्ते का निर्माण कराया जाएगा, मगर चुनाव गुजर जाने के बाद वही ‘ढाक के तीन पात’ वाली कहावत हर बार चरितार्थ होती है. उन्होंने कहा कि इस बार गांव में बैठक कर वोट का बहिष्कार किया जाएगा.