Home » चाईबासा : कोल्हान में भाजपा के लिए बड़ा स्तम्भ थे गिलुवा, हिंदुत्व की शक्ति के लिए थे जननायक, नक्सल प्रभावित टोकलो में है पैतृक आवास, किराए का मकान में बिताया अपना सारा जीवन
चाईबासा : कोल्हान में भाजपा के लिए बड़ा स्तम्भ थे गिलुवा, हिंदुत्व की शक्ति के लिए थे जननायक, नक्सल प्रभावित टोकलो में है पैतृक आवास, किराए का मकान में बिताया अपना सारा जीवन
चाईबासा : भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा का कोरोना के कारण निधन हो गया। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद जमशेदपुर के टाटा मोटर्स हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन से भाजपा सहित पूरे झारखंड में शोक की लहर है। मृदुभाषी मिलनसार नेता होने के कारण सभी के लिए वे जनप्रिय नेता के रूप में जाने जाते थे। 23 अप्रैल को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें रेमेडिसिवर की खुराक भी दी गयी थी, लेकिन इसके बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और उनका इलाज के क्रम में निधन हो गया। पश्चिम सिंहभूम के चक्रधरपुर में रहने वाले लक्ष्मण गिलुआ सिंहभूम सहित कोल्हान क्षेत्र के लिए भाजपा के बड़े स्तम्भ के रूप में जाने जाते थे। सिंहभूम क्षेत्र में हिंदुत्व की रक्षा को लेकर वे एक जनप्रिय नेता के रूप में प्रख्यात थे। उनके इस तरह चले
जाने से उनके समर्थकों, पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं को गहरा झटका लगा है। उनके धुर विरोधी रहे राजनेता भी आज उनकी मौत पर आंसू बहा रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, भाजपा के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व सीएम रघुवर दास ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। वहीँ सीएम हेमंत सोरेन, चक्रधरपुर के विधायक उराँव, मंत्री जोबा मांझी सहित सभी राजनेता लक्ष्मण गिलुआ के मौत की खबर से मर्माहत हैं और उन्होंने भी अपनी दुःख प्रकट किया है। श्री गिलुवा ने प्रखंड की राजनीति से प्रदेश की राजनीति तक का सफर तय किया है। वर्ष 1990 में श्री गिलवा चक्रधरपुर के भाजपा प्रखंड अध्यक्ष बने थे। 1995 में अविभाजित बिहार में विधानसभा चुनाव जीत बिहार विधानसभा के सदस्य बने। उसके बाद केंद्र की राजनीती में कूदे और सफलता मिली. वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में जित दर्ज कर सांसद बने। लेकिन इसके बाद लगातार विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उनकी हार हुयी। उनका राजनितिक कैरियर डगमगाने सा लगा था।
उनके कई साथी उनसे दुरी बनाने लगे थे। लेकिन 2009 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में उन्होंने चक्रधरपुर के सुखराम उरांव को महज ढाई सौ वोट से हराकर अपने दम तोड़ते राजनितिक कैरियर को ऑक्सीजन देने का काम किया। वर्ष 2009 में चक्रधरपुर के विधायक बनने के बाद पार्टी ने भी उन्हें प्रमुखता से लिया। वे इसी दौरान विधानसभा के उप मुख्य सचेतक बनाए गए। इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में वे मोदी लहर में एक बार फिर सांसद बने। श्री गिलुवा के नाम ये रिकॉर्ड है कि उन्होंने जब भी लोकसभा का चुनाव विधायक रहते हुए लड़ा उसमें विजयी हुए। 1999 मे भाजपा ने अपनी नियमावली मे परिवर्तन किया तथा प्रथम बार श्री गिलुवा को विधायक रहते लोकसभा का टिकट दिया था। इससे पूर्व भाजपा किसी विधायक को लोकसभा का टिकट नहीं दिया करती थी। उनके कुशल नेतृत्व को देखते हुए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने 25 अगस्त 2016 को उन्हें झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बनाया। लेकिन इसके बाद किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। वे लगातार लोकसभा और विधानसभा चुनाव हारते चले गए। गरीब और किसान परिवार में जन्में श्री गिलवा का पैतृक निवास स्थल चक्रधरपुर प्रखंड के टोकलो थाना अंतर्गत पिछड़ा और सुदूरवर्ती जान्टा गाँव है। उन्होंने दो बार विधायक और दो बार सांसद बनने का गौरव हासिल किया, लेकिन वे काफी दिनों तक चक्रधरपुर में एक छोटे से भाड़े के घर पर निवास करते रहे। उनकी साधारण स्वच्छ छवि के कारण झारखंड व सिंहभूम की जनता उन्हें बहुत प्यार करती है। यही वजह है की उनके निधन के बाद झारखंड में शोक की लहर दौड़ गयी है।