चाईबासा : गितिलपी गांव में राम सिंह सवैया की अध्यक्षता में एक बैठक पंचायत मंडप में हुई। बैठक में सर्वप्रथम झारखंड सरकार और हेमन्त सोरेन की ओर से चाईबासा ग्रामीण क्षेत्रों के वार्डो को पुनः नगर परिषद में जोड़ने के प्रयास की कड़ी भर्त्सना की गई। झारखंड मुक्ति मोर्चा के लगातार आदिवासी विरोधी गतिविधियों में लगे रहने से भी जनता ने नाराजगी जताई। सभी ने एक स्वर में हेमन्त सोरेन सरकार के चाईबासा के ग्रामीण क्षेत्रों को दोबारा नगर परिषद में मिलाने के प्रयास का पूरजोर विरोध करने का फैसला किया। कहा गया कि नगर परिषद के विस्तार से मानकी, मुंडाओं के अधिकार में कटौती होगी। टाटा कॉलेज की स्थापना के लिए गितिलिपी, तुईबीर, मड़कम हातु, व तांबो के आदिवासी, मूलवासियों द्वारा भूमि दान में दी
गई थी। तत्कालीन ट्रस्ट व टाटा कॉलेज संचालन समिति ने दानकर्ताओं के आश्रितों को तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर समायोजित करने का आश्वाशन दिया था। टाटा कॉलेज के अंगीभूत व सरकारीकरण के बाद भी कभी टाटा कॉलेज व कोल्हान विश्वविद्यालय प्रबंधन ने भी कभी सुधि नहीं ली। रामसिंह सवैया, बिमल सुम्बुरुई हिटलर व बिनोद सवैया ने मामले का संज्ञान लेते हुए उपकुलपति, कोल्हान विश्वविद्यालय को लिखित रूप देने का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके उपरांत बाकी गाँव तुईबीर, मड़कम हातु व तांबो के भूमि दानकर्ताओं को चिन्हित करने की सहमती जताई गई। आज ही कोल्हान विश्वविद्यालय के उप-कुलपति के अनुपस्थिति में उनके सचिव से वार्ता कर टाटा कॉलेज में भूमि दानकर्ताओं के आश्रितों को जल्द से जल्द खाली पड़े तृतीय श्रेणी में 52 व चतुर्थ श्रेणी में 32 पद पर समायोजित करने का आग्रह करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी गई।