RANCHI NEWS : रांची धुमकुड़िया करमटोली सरना धर्म कोड की मान्यता को लेकर 30 दिसंबर को आहूत भारत बंद को ऐतिहासिक बनाने को लेकर बैठक की गई. बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सांसद सह एएसए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू मौजूद थे. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने की. बैठक में आदिवासी सेंगेल अभियान, केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी छात्र संघ, सरना धर्म समन्वय समिति (खूंटी), अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद आदि के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
पूर्व सांसद और सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा की हम हर हाल में सरना धर्म कोड लेकर रहेंगे. अन्यथा हमें जबरन हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि बनने को मजबूर होना पड़ेगा. यह हमारे अस्तित्व की जीवन रेखा है. मौलिक अधिकार है. भारत बंद ऐतिहासिक और जोरदार होगा. चूंकि इस बार अनेक आदिवासी समाज ( मुंडा, उरांव, हो, संताल, लोहरा आदि) का समर्थन मिल रहा है. अबतक हम आदिवासियों को धार्मिक आजादी से वंचित करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोषी है. तब भी हमारा नारा है- जो सरना कोड देगा, आदिवासी उसको वोट देगा. सरना आंदोलन बृहद आदिवासी एकता का आंदोलन है और भारत में आदिवासी राष्ट्र स्थापित करने का भी आंदोलन है.
कांग्रेस पार्टी की ओर से क्यों हटाया गया कॉलम कोड
फूलचंद तिर्की ने कहा जब 1951 की जनगणना तक आदिवासियों के लिए अलग धार्मिक कॉलम कोड था तो उसे कांग्रेस पार्टी की ओर से क्यों हटाया गया. अब भाजपा जोर जबरदस्ती आदिवासियों को हिंदू का ठप्पा क्योँ लगाना चाहती है. अतः हमें पार्टियों और नेताओं से ज्यादा जनता और आंदोलन पर भरोसा करना पड़ेगा. बोडोलैंड आंदोलन की तरह जीत हासिल करना होगा. हाल के गुमला, लोहरदगा, खूंटी की बैठकों में भारत बंद के प्रति जनता का बहुत रुझान दिखा है. हमें सालखन मुर्मू की अगुवाई पर विश्वास और भरोसा है. हम जरूर सफल होंगे.
कई लोगों ने अपने विचारों को रखा
आदिवासी छात्र संघ की तरफ से सुमित उरांव, मोनू लकड़ा, मनोज उरांव ने भारत बंद के समर्थन में अपने सार्थक विचार रखे. सेंगेल की तरफ से सुमित्रा मुर्मू, देवनारायण मुर्मू और चंद्रमोहन मार्डी ने विचार रखा. केंद्रीय सरना समिति की तरफ से संजय उरांव, प्रमोद एक्का, भुनेश्वर लोहरा, अमर तिर्की, चंदन पाहन ने विचार रखा. सरना धर्म समन्वय समिति की तरफ से बिरसा कंडीर (खूंटी) ने भारत बंद का समर्थन किया. बैठक में सोहन कच्छप, अमित टोप्पो, नोवेल टोप्पो, बालकु उरांव, निर्मल पाहन, घनश्याम टुडू आदि शामिल थे।
किस तरह का आया सुझाव
बैठक में मूल सुझाव आया कि गांव-समाज के आदिवासियों को भारत बंद के लिए जगाना, जोड़ना और खड़ा करना होगा. ताकि सभी लोग अपने-अपने गांव के पास जत्था बनाकर रेल और रोड चक्का जाम कर सकें. 30 दिसंबर के पहले जगह-जगह मशाल जुलूस निकालना और भारत बंद के लिए प्रचार-प्रसार और दीवार लेखन आदि भी करना है.