Ashok Kumar
जमशेदपुर : सूडान की खबरें आज भी टीवी के बड़े स्क्रीन पर देखने पर दिल दहल उठता है. ऐसे में जमशेदपुर शहर के सुंदरनगर का विनोद शर्मा सूडान में मौत के मुंह से बाहर निकालकर शहर लौट आया है. सूडान में 14 दिनों तक वो खौफ का मंजर वे भुल नहीं पा रहा है. सात सालों तक विनोद सूडान में रहे और घर परिवार को पाला, लेकिन अब वहां के हालात बदल गये हैं. जान बची सो लाखो पाये वाली कहावत यहां पर चरितार्थ होती है. शहर लौटने के बाद विनोद से इनसाइड झारखंड न्यूज ने खास बातचीत की.
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एलपीजी गैंस प्लांट के लेथ मशीन में था कार्यरत
विनोद ने बताया कि वे सूडान के खार्तुम में एलपीजी गैस प्लांट में लेख मशीन का काम करते थे. टेक्निकल हैंड के कारण ही उन्हें 2016 में वहां पर काम मिला था. यह काम उनके हैदराबाद के एक साथी ने दिलवाया था. वे करीब 7 सालों तक सूडान में रहे.
16 अप्रैल से शुरू हुई थी जमीनी व हवाई लड़ाई
बकौल विनोद दो सेना में वर्चस्व की लड़ाई सूडान में 16 अप्रैल से शुरु हुई थी. जमीन और आसमान से फायरिंग की जा रही थी और गोले दागे जा रहे थे. लड़ाई के कारण वे जिस गैस प्लांट में काम करते थे उसे बंद करना पड़ा था. 23 अप्रैल को कंपनी में आग लगा दी गयी और लूट-पाट की गयी. इसके बाद वे वहां से दूसरे स्थान पर सुरक्षित जगह की खोज में चले गये.
काफुरी में दोस्त ने दिया सहारा
विनोद के दोस्त खार्तिम से कुछ किलोमीटर दूर काफुरी में रहते थे. इसके बाद उन्होंने वहां पर अपना सिर छुपाया. दोस्त ने भी अच्छा से ख्याल रखा. इस बीच उन्होंने दूतावास से ऑपरेशन कावेरी की जानकारी मिली. इसके बाद वे 28 अप्रैल को किसी तरह से फोरसूडान पहुंचे.
29 अप्रैल को रेस्क्यू कर लाया गया सऊदी
विनोद ने बताया कि उन्हें व अन्य भारतीय को 29 अप्रैल को ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से रेस्क्यू कर सऊदी लाया गया. इसके बाद प्लाइट से उन्हें 30 अप्रैल को दिल्ली लाया गया. उसी दिन वे जमशेदपुर भी पहुंच गये थे. घर पहुंचने के बाद उन्हें लगा कि मौत के मुंह से निकलने के बाद अब वे सुरक्षित हैं.
सूडान में 500 से ज्यादा लोगों की हुई है मौत
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के अनुसार, सूडान में हुई हिंसा में 500 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है और 3700 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. मरने वालों में खार्तूम में मौजूद मिस्त्र के दूतावास के एक अधिकारी भी शामिल हैं. सूडान से विभिन्न देशों के 4 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा सका है और घर भी पहुंचाने का काम किया गया है. सूडान के लोग बड़ी संख्या में चाड, इजिप्ट और दक्षिण सूडान पलायन कर गए हैं. लोगों को पानी, खाने और दवाईयों की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
पीएम मोदी ने बैठक कर ली जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह युद्ध प्रभावित सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी. बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी हिस्सा लिया और सूडान के मौजूदा हालात के बारे में पीएम को अवगत कराया था. बैठक में पीएम ने हर संभव मदद करने का आश्वासन फंसे भारतीय को दिया था.
सूडान में जारी हिंसा की क्या है वजह
हालिया हिंसक घटनाओं की जड़ें तीन साल पहले हुआ तख्तापलट से जुड़ी हैं. बताया जा रहा है कि अप्रैल 2019 में एक विद्रोह के बीच सैन्य जनरलों की ओर से लंबे समय से शासन कर रहे निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था. तब से सेना एक संप्रभु परिषद के माध्यम से देश चला रही है. सेना और आरएसएफ प्रतिद्वंद्विता राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन के समय से चली आ रही है. ताजा झड़प की वजह ये है कि सूडान की सेना का मानना है कि आरएसएफ, अर्द्धसैनिकल बल के तहत आती है और उसे सेना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
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