बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक और बड़ी उपलब्धि की ओर अग्रसर है. 18 मई को सुबह 5:59 बजे इसरो अपने विश्वसनीय लॉन्च व्हीकल पीएसएलवी-सी61 के माध्यम से EOS-09 (RISAT-1B) सैटेलाइट का प्रक्षेपण करेगा. यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा. इस सैटेलाइट की मदद से भारत को रात के अंधेरे में, बादलों के पार और हर मौसम में सटीक निगरानी करने की क्षमता प्राप्त होगी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है.
EOS-09 सैटेलाइट को इसरो के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु में पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है. इसका वजन 1,696 किलोग्राम है और इसे पृथ्वी की सतह से लगभग 500 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इस उपग्रह में C-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक का प्रयोग किया गया है, जो इसे कम रोशनी, घने बादल और खराब मौसम में भी धरती की सटीक और हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम बनाता है.
सीमा की सुरक्षा में निभाएगा अहम भूमिका
EOS-09 को विशेष रूप से सीमा क्षेत्रों और सामरिक स्थलों की निगरानी के लिए तैयार किया गया है. अभी भारत के पास 50 से अधिक सक्रिय सैटेलाइट हैं, जिनमें से सात रडार सैटेलाइट्स सीमा सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं। अप्रैल 2022 में पहलगाम हमले के समय इन सैटेलाइट्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इससे पहले भारत के पास मौजूद Cartosat-3 जैसे इमेजिंग सैटेलाइट रात में तस्वीरें लेने में सक्षम नहीं थे. EOS-9 इस कमजोरी को दूर करेगा और सुरक्षा एजेंसियों को 24×7 निगरानी की सटीकता प्रदान करेगा.
इसरो अध्यक्ष डॉ वी नारायणन ने हाल ही में कहा किकम से कम 10 सैटेलाइट चौबीसों घंटे देश की सुरक्षा में लगे हैं. भारत को अपनी 7,000 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा और पूरे उत्तरी क्षेत्र की निगरानी करनी होती है. यह सैटेलाइट और ड्रोन तकनीक के बिना संभव नहीं है.