Ashok Kumar
जमशेदपुर : वर्ष 1977 से 2000 के दशक में डुमरी विधानसभा कभी लालचंद महतो और शिवा महतो का गढ़ माना जाता था, लेकिन 2004 में इस गढ़ में जगरनाथ महतो घुस गये और सबकुछ धराशायी कर दिया. डुमरी विधानसभा के सिमराकुल्ही गांव के रहनेवाले शिक्षामंत्री स्व. जगरनाथ महतो को लोगों ने तब हाथोंहाथ लिया जब उन्होंने तीन दशक पहले ट्रांसपोर्टिंग में ब्लैकमेलिंग के धंधे का पर्दाफाश किया था. जानकार व करीबी लोगों का कहना है कि उस समय प्लांट का सामान उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से आता था. तब वहां के ट्रांसपोर्टर ट्रांसपोर्टिंग कर कंपनी को चुना लगाने का काम करते थे. लोडिंग-अनलोडिंग में होनेवाली गड़बड़ी को उजागर किया था. इस बीच उन्हें काफी प्रताड़ित भी किया गया था. उनकी आवाज को दबाने का पूरा काम किया गया था.
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सांसद का मिला था सहयोग
तब जगरनाथ महतो को तत्कालीन सांसद राजकिशोर महतो का काफी सहयोग मिला था. इसके बाद ही मामला शांत हुआ था. इसके बाद तो उन्होंने ट्रांसपोरर्टिंग के खिलाफ आंदोलन ही छेड़ दिया था. डुमरी-नवाडीह से सटे कोयलांचल में भी संगठित, असंगठित मजदूर और विस्थापितों का उन्होंने भरपूर सहयोग मिला था.
1980 के दशक में थे झामुमो के साधारण कार्यकर्ता
जगरनाथ महतो 1980 के दशक में झामुमो के एक साधारण कार्यकर्ता ही थे. 2004 में वे डुमरी विस क्षेत्र में चुनाव के ठीक पहले झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की मौजूदगी में पार्टी में फिर से शामिल हो गये थे. 2000 में भी जगरनाथ महतो झामुमो की टिकट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया था. तब उन्होंने दूसरी पार्टी की टिकट चुनाव लड़ा था और 4 हजार वोटों से हार गये थे. इसके बाद 2005 में झामुमो की टिकट पर पहली बार तब के विधायक लालचंद महतो को हराया था. इसके बाद 2009 में भी लालचंद महतो को हराया था. 2014 में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी लालचंद महतो 33000 वोट हराया था.
विस क्षेत्र के लोगों के साथ हमेशा खड़े रहते थे
जगरनाथ महतो अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के सुख-दुख में हमेशा खड़े रहते हैं. राजनीति में उतरने के पहले वे खेती का ही काम करते थे. शर्ट और लुंगी पहनकर खेतों में जाते थे और दिनभर मेहनत कर शाम को घर लौटते थे. 1995 में उन्होंने मैट्रिक पास करने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बाद फिर 53 साल की उम्र में ग्यारवीं की पढ़ाई शुरू की थी.
निधन के बाद गांव में पसरा है मातम
जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनके गांव में मातम पसरा हुआ है. गांव के लोग सिर्फ उन्हें ही याद कर रहे हैं. गलियों में सिर्फ उन्हीं की बात हो गयी है. उनके घर पर लोगों का सुबह से ही आना-जाना लगा हुआ है. प्रशासनिक महकमा भी गांव में पहुंचा हुआ है. विस क्षेत्र का एक-एक व्यक्ति पलके बिछाये बैठा हुआ है.
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