जमशेदपुर : बंगला नववर्ष ‘पोइला बैसाख’ के पावन अवसर पर बंगाली समुदाय में खासा उत्साह और उल्लास देखने को मिला. सुबह से ही लोग पारंपरिक नवीन वस्त्रों में सजे-धजे मंदिरों की ओर रवाना होते दिखे, जहां परिवार सहित उन्होंने पूजा-अर्चना कर नववर्ष की मंगल शुरुआत की.
शहर के हर मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया था, जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. छोटे बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, हर चेहरा आज नववर्ष की उमंग और आस्था से खिला नजर आया. मंदिर परिसर घंटियों की मधुर ध्वनि और भक्ति गीतों से गूंज उठे.
पारंपरिक बंगाली व्यंजनों लिया आनंद
इस पावन अवसर पर बंग समुदाय के लोगों ने घरों की साफ-सफाई कर उन्हें आम्रपल्लव और अल्पना (रंगोली) से सजाया. घरों के दरवाजो पर पारंपरिक सजावट की गई, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है. खास बात यह रही कि हर घर में पारंपरिक बंगाली व्यंजनों जैसे शुक्तो, लुचि, आलू दुम, मिठाई आदि की खुशबू बिखरी रही, जिनका सभी ने परिवार व प्रियजनों के साथ आनंद लिया.
पूरे दिन शहर के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, संगीत और नृत्य का आयोजन भी किया गया, जहां पारंपरिक लोककलाएं और आधुनिक प्रस्तुति का सुंदर संगम देखने को मिला. बंगाल की आत्मा को दर्शाता यह पर्व हर वर्ष की तरह इस बार भी सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण बना.