जमशेदपुर : सोनारी गुरुद्वारा के प्रधान पद के लिए रविवार को हुए चुनाव में उम्मीदवार तारा सिंह गिल (शेर छाप) की दहाड़ ने विरोधियों को पस्त कर दिया. तारा सिंह ने 36 वोटों से जीत दर्ज करते हुए अपने छोटे भाई बलबीर सिंह गिल (गिल) को मात दी. तारा सिंह को 175 वोट मिले, जबकि बलबीर सिंह को 139 पर ही संतोष करना पड़ा. कुल 389 मतदाताओं में 320 वोटरों ने मत का प्रयोग दोपहर तीन बजे तक किया. पांच मद रद्द घोषित किये गए. सवा तीन बजे मतगणना शुरू हुई और विजयी उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई. चुनाव जीतने के बाद तारा सिंह को समर्थकों ने सिरआंखों पर बैठाया. उसके बाद गुरु दरबार में माथा टेकने पहुंचे, जबां पराजित प्रत्याशी बलबीर सिंह भी उपस्थित रहे. तारा सिंह का कार्यकाल 2023 से 2026 तक का होगा. पूर्व में यहां दो साल का कार्यकाल होता था, लेकिन इस
चुनाव जीतने के बाद भाई को लगाया गले
चुनाव जीतने के बाद तारा सिंह ने अपने छोटे भाई बलबीर सिंह को गले लगाया. उनकी आंखे नम हो गई. तारा सिंह ने कहा कि उनकी लड़ाई छोटे भाई के साथ नहीं थी. उनकी लड़ाई सीधे गुरदयाल सिंह के साथ थी. सोनारी की संगत ने गुरदयाल सिंह को कड़ा जवाब दिया है. संगत जानती थी कि गुरदयाल की मनमानी गुरु घर में हावी हो जाएगी. शांतिपूर्ण चुनाव संपन्ना कराने के लिए जिला प्रशासन की ओर से जेएनएसी के सहायक अभियंता अमित आनंद मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे, जबकि दारोगा कुंदन चौधरी सशस्त्र बल के साथ विधी व्यवस्था बनाये रखने के लिए उपस्थित रहे.
शांतिपूर्ण संपन्न हुआ चुनाव
प्रधान पद के लिए रविवार सुबह नौ बजे मतदान शुरू हुआ था. सबसे पहले तारा सिंह और दूसरी वोट विपक्षी उम्मीदवार बलबीर सिंह ने दी. उसके बाद संगत दोपहर तीन बजे तक मतदान करती रही. पूरी चुनावी प्रक्रिया शांतिपूर्ण संपन्न हुई. सुबह साढ़े 11 बजे सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भगवान सिंह, महासचिव अमरजीत सिंह, साकची के प्रधान निशान सिंह, गुरनाम सिंह मतदान स्थल पहुंचे और राउंड मारकर चले गए. सीजीपीसी की ओर से कन्वेनर के रूप में अमरजीत सिंह भामरा, परविंदर सिंह सोहल व गुरचरण सिंह बिल्ला की प्रतिनियुक्ति की गई थी, जबकि सहयोगी के रूप में उनके साथ दलविंदर सिंह, मनीफिर के पूर्व प्रधान सुरजीत सिंह व तरनप्रीत सिंह बन्नी उपस्थित रहे. वहीं, पोलिंग एजेंट के रूप में तारा सिंह की ओर से सुखविंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह व जीएस गोलन, जबकि बलबीर की ओर से बलदेव सिंह, अमरजीत सिंह व हरजीत सिंह मास्टर उपस्थित थे.