जमशेदपुर।
गुरु नानक देव जी ने 15वीं शताब्दी में सिख पंथ की नींव रखी. आखिरी पड़ाव गुरु गोबिंद सिंह जी ने आभूषण रूपी खालसा पंथ की सृजना कर सवा लाख से एक लड़ाऊं का नारा देकर परिपूर्ण किया.
सिख गुरुओं उनके परिवार एवं शिष्यों के बलिदान ने निर्बल लोगों में आत्मविश्वास जगाया और उन्हें गर्व से जीना सिखाया.
कोरोना काल में सिखों द्वारा की गई मानवता की सेवा जहां सारे विश्व ने देखी. वहीं किसान आंदोलन में सिख पंथ की एकता को भी पूरे हिंदुस्तान ने देखा.
आज हम दो पर्सेंट वालों ने अपना लोहा मनवा लिया है एवं सारा हिंदुस्तान हमें गर्व एवं श्रद्धा से देखता है.
जमशेदपुर में सभी धर्मों के मानने वाले बहुतायात रहते हैं. सिखों के घनी आबादी के चलते यहां मिनी पंजाब से भी जाना जाता है.
पिछले कुछ सालों से गुरुद्वारों की लड़ाई झगड़े से प्रत्येक सिख का सिर शर्म से झुक जाता है. दूसरे समुदाय के लोगों से आंख मिलाने में भी ग्लानि महसूस होती है.
जमशेदपुर की सिरमौर संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य सेवादार के चुनाव का बिगुल बजा हुआ है. चार उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. चारों के चारों व्यक्तित्व के धनी, समाज के प्रतिष्ठित एवं सम्मानित व्यक्ति हैं.
महेंद्र सिंह जहां मृदु स्वभाव के नामदा बस्ती गुरुद्वारा के प्रधान एवं सीजीपीसी के कार्यकारी प्रधान रह चुके हैं. वहीं गुरु घर के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हैं एवं हरमन प्यारे हैं. समाज में अच्छी पकड़ है.
वहीं हरविंदर सिंह मंटू साकची गुरुद्वारा के पूर्व प्रधान एवं हरमिंदर सिंह मिन्दी रिफ्यूजी कॉलोनी के प्रधान हैं.दोनों ही काफी समय से गुरु घर से जुड़े हैं एवं निष्काम सेवा से सिख संगत के प्यारे हैं. गुरु घर की सेवा में बढ़-चढ़कर इनका योगदान है.
सरदार भगवान सिंह का कहना ही क्या. वे काफी कम समय में चमकते हीरे जैसी छाप छोड़ी है. मानगो गुरुद्वारा में इनके द्वारा सिक्खी का किया गया प्रचार प्रसार किसी से छिपा नहीं है. गुरु घर के प्रति किए गए कार्यों को संगत देख रही है एवं इनकी बढ़ाई कर रही है. किसान आंदोलन में इनका योगदान किसी से छिपा नहीं है.
आज कोल्हान की सिख संगत ऐसे चेहरे की तरफ देख रही है जो गुरुद्वारों में एकता ला सके. संगत को गुरु घर से जोड़ सकें.
वाहे गुरु की कृपा से उन्हें एक नहीं चार ऐसे चेहरे मिले हैं, जो आने वाले समय में कौम के लिए मिसाल बनेंगे. चारों एक हो जाए तो कौम को नई दिशा और दशा दे सकते हैं.
अपने स्तर से संगत की राए जानने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि संगत समाज में पक्ष-विपक्ष नहीं चाहती है.
होए एकत्र मिलो मेरे भाई ।
दुविधा दूर करो लिव लाए।।
गुरबाणी के फरमान के अनुसार आपस में बैठकर दुविधा दूर करें.
सरदार भगवान सिंह को प्रधान (मुख सेवादार) का समर्थन देने पर ऐसा नहीं है कि आपका कद घट जाएगा और भगवान सिंह का बढ़ जाएगा बल्कि आप के इस फैसले से कौम का कद जरूर बढ़ेगा. आप चारों का कद बढ़ेगा.
भगवान सिंह को जहां महेंद्र सिंह का तजुर्बा काम आएगा वही हरविंदर सिंह मंटू एवं हरमिंदर सिंह मिन्दी की कार्यशैली से रूबरू होंगे.
आज कोल्हान की सिख संगत क्या चाहती है ?
1- गुरुद्वारों का विवाद खत्म हो.
2- सिक्खी का प्रचार प्रसार हो.
3- संगत गुरु घर से जुड़े.
4- धार्मिक कैंपों का आयोजन हो.
5- कौम में एकता बनी रहे.
यह सब आप चारों के सहयोग से संभव है. आने वाले समय में आप चारों के द्वारा कौम को एक नई दशा एवं दिशा मिलेगी. आप चारों कंधे से कंधा मिलाकर समाज को एक नई रोशनी दिखाएं. सिख समाज को बिखरने से बचाएं.
गुरबाणी के पवित्र फरमान ,
हम नहीं चंगे बुरा नहीं कोए।
प्रणवत नानक तारे सोए ।।
के अनुसार आप चारों बिना किसी बाहरी दबाव के जागती जोत साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के सामने खड़े होकर नतमस्तक हो एवं अपनी अंतरात्मा की आवाज से वाहेगुरु को बुलाएं वाहेगुरु खुद आपको रास्ता दिखाएंगे।