जमशेदपुर : झारखंड में बांग्ला भाषा और बांग्ला भाषी समाज के खिलाफ कथित सरकारी उपेक्षा और विरोध के चलते बांग्ला भाषियों में गहरा आक्रोश फैल गया है. इसी कड़ी में बुधवार को पूरे राज्यभर में झारखंड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति के नेतृत्व में सभी जिला मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन हुआ और जिला उपायुक्तों के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विरोध पत्र सौंपा गया.
जमशेदपुर में बांग्लाभाषी संगठनों ने जताया विरोध
पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय (जमशेदपुर) पर हुए प्रदर्शन में जिले के विभिन्न बांग्लाभाषी संगठनों ने भाग लिया. इस मौके पर प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री द्वारा हाल ही में दिए गए विवादित बयान – “पहले छात्र लाइए, फिर शिक्षक और पुस्तक देंगे” पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी गई. इसके साथ ही, रांची स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय से उनके नाम को हटाने के निर्णय का भी विरोध हुआ.
समिति के जिला महासचिव जूरान मुखर्जी ने बताया कि झारखंड सरकार द्वारा बांग्ला भाषा और समुदाय के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर समाज में असंतोष व्याप्त है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लाभाषी समाज अब किसी भी स्थिति में चुप नहीं बैठेगा और आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में फैलाया जाएगा.
19 मई से ‘बांग्ला जनजागरण अभियान’ की शुरुआत
आंदोलन के दूसरे चरण में 19 मई को असम के सिलचर भाषा शहीद दिवस के अवसर पर धनबाद के रणधीर वर्मा चौक से ‘बांग्ला जनजागरण अभियान’ की शुरुआत की जाएगी. यह अभियान प्रदेश की सभी पंचायतों तक पहुंचाया जाएगा.
आगामी राज्यधिवेशन जमशेदपुर में आयोजित किया जाएगा, जिसमें सभी जिलों के बांग्लाभाषी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इसमें आंदोलन की आगामी रणनीति पर विचार किया जाएगा और राज्य सरकार पर दबाव बढ़ाने की रूपरेखा तय की जाएगी.
कई जिलों में हुआ प्रदर्शन
इस दौरान पूर्वी सिंहभूम जिला के अलावा पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला, रांची, धनबाद, बोकारो, दुमका, जामताड़ा, हजारीबाग, कोडरमा सहित राज्य के अन्य जिलों में भी ज्ञापन सौंपे गए और विरोध प्रदर्शन किए गए.