RAJ KISHOR TINKU
जमशेदपुर : लौहनगरी जमशेदपुर में आत्महत्या के मामलों में असाधारण ढ़ंग से बढ़ोत्तरी हो रही है. इस पर शहर के जीवन निवारक संस्था ‘जीवन’ के संस्थापक डॉक्टर महावीर राम और निदेशक डॉक्टर जीवराज जैन ने गहरी चिन्ता व्यक्त की है. उनका कहना है कि वर्ष 2023 के प्रारम्भ तीन महीनो में 35 लोगों ने आत्महत्या की, जो पिछले वर्ष के समान अवधि से कम है, लेकिन अप्रैल महीने में अब तक करीब हर दो दिनों मे एक आत्महत्या हो रही है, यह बहुत ही चिन्ता का विषय है. इस पर जीवन संस्था की टीम की ओर से गहन चिंतन किया गया. साथ ही, इस जघन्य महामारी के निवारण के उपायों पर भी चर्चा हुई. डॉ राम और डॉ जैन ने बताया कि जीवन लगातार स्कूलो मे वर्कशॉप करती आ रही है. कोरोनाकाल में भी वर्कशाप किए गए. इसका साकारात्मक प्रभाव दृष्टिगोचर हुआ. पिछले तीन महीने में बच्चों द्वारा किये गये चार आत्महत्याओं का संबंध एक्जाम के तनाव या दुष्चिंता से नहीं जुडा हुआ था. उन्होंने कहा कि आत्महत्या एक सतत चलने वाली महामारी है. इसका प्रभावी निवारण तभी संभव है, जब समाज के हर वर्ग के लोग अपने-अपने स्तर पर इसे अपना सामाजिक दायित्व समझकर सहयोग प्रदान करने के लिए आगे आए. अगर किसी एक की भी जान बचाई जा सकती तो बहुत ही सराहनीय कार्य माना जायगा. यह एक बहुत बड़ी सामाजिक सेवा होगी, जिसमें कुछ भी व्यय निहित नही है.
‘जीवन’ है सहयोग के लिए सदैव तत्पर
सिर्फ जीवन से संपर्क करवाना है. हमारी भावनात्मक सहयोग की सेवा भी बिल्कुल मुफ्त तथा गोपनीय है. एक बात की गारंटी है कि हमारे वालंटियर से भावात्मक सहयोग प्राप्त कर आप अवश्य तनावमुक्त तथा साकारात्मक महसूस करेगे. जीवन संस्था की सेवाए 365 दिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक बिष्टुपुर कार्यालय में पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध है. यहां मोबाइल नंबर-9297777499 या 9297777500 से भी संपर्क किया जा सकता है. उन्होंने आम जनता से आत्महत्या निवारण के इस महायज्ञ में सहभागी बनने का अनुरोध करते हुए कहा है कि यदि आपके आस-पास किसी भी व्यक्ति के आचरण से यह आभास होने लगे कि वो मानसिक रूप से परेशान हैं, तो कृपया उन्हे जीवन संस्था से सम्पर्क करने के लिए प्रेरित करें. जमशेदपुर अपनी सुन्दरता, हरियाली, सफाई सब में अव्वल है. इस शहर की आम जनता को तनाव मुक्त एवं शहर को आत्महत्या मुक्त करने के प्रयत्न के भी सहभागी बने.
नहीं करें छोटी-छोटी मानसिक परेशानियो को नजरअंदाज
उन्होंने यह भी कहा कि छोटी-छोटी मानसिक परेशानियों को नजरअंदाज करने पर ही आगे चलकर वो आत्महत्या के लिए प्रेरित करती है. एक व्यक्ति तभी स्वस्थ्य कहलाता है, जब वो शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ हो. मानसिक विकार मन तथा मष्तिष्क से जुड़ा है, जो कि शरीर के ही अंग है. शरीर के अन्य अंगो का भी जरुरत पड़ने पर सही समय पर सही दिशा में इलाज करवाना अति आवश्यक है. इस बात की चिन्ता बिल्कुल ना करे कि अगर आप किसी मनोचिकित्सक, काउंसलर या जीवन के वालंटियर के पास निदान के लिए जाएंगे तो पागल करार दिए जाएंगे. जब जान जाती रहेगी, तो उनमें से कोई भी सहायक नहीं होंगे. ध्यान में रहे कि कोई व्यक्ति मरना नही चाहता, वो समस्या का समाधान या उसे सुलझाने की शक्ति चाहता है. मुख्य रुप से एक अदद दोस्त चाहता है जो उसे और उसकी परेशानी को बिना जजमेंटल हुये, बिना किसी तर्क के, बिना आलोचना के समझ सके.
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