जमशेदपुर : जिस के सिर ऊपर तूं स्वामी सो दुख कैसा पावै…गुरवाणी के उपदेशों के साथ सोमवार की रात माता कौलां जी भलाई केंद्र, अमृतसर वाले भाई साहेब भाई अमनदीप सिंह ने लौहनगरी की संगत को गुरु उपदेशों से निहाल किया. बड़े ही सुरीले अंजाद में अनमोल वाणी का रस गायन करते हुए ज्ञानी अमनदीप सिंह ने संगत को बताया कि परिवार में कैसे विचरन करें इसके बारे कथा के द्वारा बताया गया. उन्होंने बताया कि परिवार के हर सदस्य छोटे हो या बड़े एक दूसरे का सतकार करें. यह नहीं कि छोटे ने बड़े को कुछ काम बोल दिया तो उसको अन्यथा में न लें. वह बिष्टुपुर रामदास भट्ठा गुरुद्वारा में आयोजित 8वें रैण सवाई समागम में संगत को गुरु संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उस काम को भले देर सवेर से ही करें, लेकिन जरूर करें. छोटे की खुशी से आपको भी खुशी मिलेगी. जहां खुशी होती है वहां वाहेगुरु आप अंग संग सहाई होते हैं. उन्होंने गुरवाणी कथा के माध्यम से नौजवानों को भी आपसी प्यार बांटने, गुरु की सीखया के अधीन चलने के लिए प्रेरित किया. नौजवानों को गुरु घर से जुड़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया. इसके अलावा माता बिपनप्रीत कौर ने भी गुरवाणी के रस में संगत को गुरु भक्ति में लीन कर दिया.
दो हजार संगत ने ग्रहण किया गुरु का अटूट लंगर
रैण सवाई कीर्तन की शुरूआत 15 मई की शाम 7 बजे से हुई. इसे लेकर आयोजक गुरुद्वारा के प्रमुख सेवादार बलबीर सिंह बल्ली परिवार की ओर से विशाल पंडाल सजाया गया था. लौहनगरी की करीब दो हजार संगत के बीच गुरु का अटूट लंगर भी वितरित किया गया. सुबह सात बजे आसा जी के वार के कीर्तन उपरांत समागम की समाप्ति हुई. सुबह तक संगत गुरवाणी के गोते लगाती रही. स्थानीय कीर्तनी बीबी मंजीत कौर ने भी संगत का समां बांधा था. इससे पूर्व रैण सवाई समागम की सफलता को लेकर 12 मई को गुरुद्वारा साहिब में श्री अखंड पाठ साहिब रखा गया था, जिसका भोग 14 मई को पड़ा था.
इनका रहा सहयोग
कार्यक्रम को सफल बनाने में रामदास भट्ठा गुरुद्वारा के सतनाम सिंह, गुरशरण सिंह, मनमीत सिंह, तरणप्रीत सिंह बन्नी, सुरेंद्र सिंह पाली, देवेंद्र सिंह, कमलजीत सिंह, गुरविंदर सिंह, राजेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह आदि का सक्रिय योगदान रहा. सुबह समाप्ति उपरांत कीर्तनीयों को सम्मान के साथ विदाई दी गई.
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