जमशेदपुर : जिले के शहरी क्षेत्र में भले ही ऑन लाइन काम काम युद्ध स्तर पर हो रहा है, लेकिन सुदुर ग्रामीण क्षेत्रों की हालत ऐसी बिल्कुल ही नहीं है। जितना गांव पिछड़ा हुआ है उतनी ही समस्या उत्पन्न होती है। ठीक इसी तरह का हाल बोड़ाम के रसिकनगर की है। यहां पर सरकार की ओर से 50 साल पहले एक उप-डाकघर बनाया गया है। डाकघर आज भी काम कर रहा है, लेकिन ऑफ लाईन हालत में है। यहां के कर्मचारी ऑन लाईन काम करने के लिए बोड़ाम के हाट मैदान में जाकर नेटवर्क की तलाश करते हैं। वहां पर भी मन मुताबिक काम नहीं हो पाता है।
हाट के दिन भी मैदान में ही चलता है उप-डाकघर
बोड़ाम का उप-डाकघर हाट के दिन भी हाट मैदान में ही चलता है। हाट के दिन थोड़ी परेशानी जरूरत होती है। मैदान में बुधवार को हाट लगता है। अगर किसी को खाता खुलवाना है तो ऑन लाईन काम नहीं हो पाता है। फार्म भरवाकर ही खातेदार को वापस घर भेज दिाय जाता है।
मैदान में भी ठीक से काम नहीं करता है नेटवर्क
हाट मैदान में भी नेटवर्क ठीक से काम नहीं करता है। वहां पर भी घंटों बैठने के बाद नेटवर्क के दर्शन होते हैं। यहां के कर्मचारी इससे खासा परेशान रहते हैं। उन्हें लगता है वे आज भी आदिमयुग में ही जीवन काट रहे हैं।
डाकपाल ने कहा नेटवर्क से हैं परेशान
बोड़ाम उप-डाकघर के डाकपाल हरिराम मिश्रा का कहना है कि वे वेटवर्क से परेशान रहेत हैं। कोई भी काम समय पर नहीं हो पाता है। सेंटर में ऑन लाईन आवेदन आते हैं। इसके बाद खाता प्रिंट करने का काम भी करना पड़ता है। सभी कार्य ऑन लाईन ही होता है। नेटवर्क के अभाव में उन्हें ज्यादा समय तक काम करना पड़ रहा है। ग्राहकों को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं।