Jamshedpur : चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन मां हरगौरी व सिद्धिदात्री की पूजा के साथ छत्तीसगढ़ी समाज की जवारा पूजा का भी समापन हो गया। अंतिम दिन रविवार को शहर के विभिन्न इलाकों में जवारा का गाजे-बाजे के साथ विसर्जन किया। सिर पर जवारा (जौ के पौधे) से सजे कलश लेकर महिलाएं नदी घाटों तक गई, जबकि युवा-बुजुर्ग देवी मां की जयकार लगाते हुए चल रहे थे। सुबह से ही सोनारी, भालूबासा, टुइलाडुंगरी, उलीडीह, बागबेड़ा, बागुनहातू, टेल्को क्षेत्र में भी जवारा पूजा की धूम रही। ज्योति कलश व जवारा को युवतिया व महिलाएं सिर पर उठाकर कतारबद्ध होकर भजन-कीर्तन करते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थीं। श्रद्धालु महिलाएं व पुरुष ज्योति कलश व जवांरा का साष्टाग दंडवत प्रणाम कर अभिवादन कर रहे थे। श्रद्धा, विश्वास व भक्ति का अनूठा दृश्य था। लोग भक्तिभाव से भजन-कीर्तन करते हुए सार्वजनिक कुंआ की ओर विसर्जन के लिए बढ़ रहे थे। जगह-जगह भक्त रास्ते को जल से धोकर पवित्र कर रहे थे, तो कोई जुलुस के रास्ते में फूल बिखेर रहे थे।