जमशेदपुर।
सवां लाख से एक लड़ा हूं, तभी गोबिंद सिंह नाम कहा हूं. सिखों के दसवें गुरु सरबंसदानी श्री गुरु गोबिंद सिंह के चार साहेबजादों बाबा अजीत सिंह जी, बाबा जुझार सिंह जी, बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह की ऐतिहासिक शहीदी को याद करते हुए शुक्रवार को बिष्टुपुर रामदास भट्ठा गुरुद्वारा कमेटी की ओर से चेतना मार्च निकाली गई. यह चेतना मार्च गुरुद्वारा से निकलकर हिंद क्लब, रानीकूदर, बिष्टुपुर जी टाउन मैदान, खालसा क्लब होकर वापस गुरुद्वारा पहुंची. चेतना मार्च में तीन सौ ज्यादा संगत शामिल थी, जो कि गुरु का जस गायन करते हुए चल रहे थे. कीर्तन करने में सिख स्त्री सत्संग सभा की बीबीयों ने सेवा निभाई.
पालकी साहिब के समक्ष माथा टेका
चेतना मार्च की अगुवाई सुसज्जित पालकी साहिब में विराजमान सिखों के हाजर नाजर श्री गुरुग्रंथ साहिब कर रहे थे. जिन मार्गों से पालकी साहिब गुजर रही थी उसके आगे आगे सड़क की सफाई व पुष्पवर्षा की जा रही थी. सिखी पहनावे में पंज प्यारों से सजी युवतियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी, जो संगत में जोश भर रही थी कि गुरुओं व सिखों ने सिर देकर शहादत दी है. चेतना मार्च में शामिल संगत की सेवा के लिए जगह-जगह सेवा शिविर लगाये गये थे. बता दें कि इससे पूर्व 21 व 22 दिसंबर को दो दिवसीय धार्मिक समागम गुरुद्वारा में सजाया गया था. चेतना मार्च के सफल आयोजन में गुरुद्वारा कमेटी के सतनाम सिंह, गुरशरण सिंह, मनमीत सिंह, तरनप्रीत सिंह बन्नी, देवेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह बाली, बलविंदर सिंह आदि का सहयोग रहा.