जमशेदपुर : जगन्नाथ महाप्रभू की रथयात्रा को इस बार सिर्फ मंदिर परिसर में ही घुमाया गया। इस्कॉन मंदिर में रथयात्रा निकाली गई। गिन-चुने श्रद्धालु ही रथयात्रा में शामिल हुए थे। मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में सांसद विद्युत वरण महतो पहुंचे हुए थे। महाप्रभू जग्गनाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ निकलकर मौसी बाड़ी पहुंचते हैं। इस बीच महाप्रभू का नगर भ्रमण होता है । ओड़िसा के पूरी धाम में विश्व की सबसे बड़ी रथ यात्रा निकाली जाती है। इस बार कोरोनाकाल को देखते हुए केवल नियमों की पूर्ति के लिए ही रथ यात्रा निकाली गई ।मौके पर जिले के सांसद विद्युत वरण महतो रथ को खींचते हुए नजर आए । उन्होंने इस दौरान कहा कि महाप्रभू जगन्नाथ जी से वे कामना करते हैं की पृथ्वी से जल्द से जल्द कोरोना को खत्म करें ताकि मानवता की रक्षा हो सके ।
बोड़ाम में भी रथयात्रा आकर्षण का केंद्र
बोड़ाम के जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में रथ यात्रा के अवसर पर भगवान कृष्ण, बलराम व सुभद्रा का पूजन किया जाता है। इस दौरान बोड़ाम के बनर्जी परिवार के सदस्यों की ओर से स्थापित 150 साल पुरानी मंदिर है। कोविड को ध्यान में रखते हुए सादगी के साथ पूजा-पाठ की गई। मंदिर में पूजारी गुरुदास बनर्जी, फटिक चन्द्र बनर्जी, हराधन बनर्जी, बनमाली बनर्जी आदि उपस्थित थे। बोड़ाम बाजार स्थित जगन्नाथ मंदिर की स्थापना बंगला 1858 में स्व. विश्वनाथ बंदोपाध्याय
की ओर से की गई थी। पुजारी बनमाली बनर्जी ने बताया कि वर्षों पुरानी मंदिर में रथ यात्रा के दिन बनर्जी वंश के लोगों के द्वारा पूजा का आयोजन किया जाता है।पूजा-पाठ व भजन कीर्तन के बाद शाम को मंदिर से रथयात्रा निकाली जाती थी। दो साल से कोविड़ के कारण सादगी से मनाया जा रहा हैं।क्षेत्र में एकमात्र जगन्नाथ मंदिर होने के कारण यहां प्रति वर्ष दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते थे। इस बार महामारी का नाश कर स्थिति को संतुलित करने की मांग सभी ने महाप्रभू जगन्नाथ से की।
परसूडीह के खासमहल में पूजा-अर्चना
खासमहल के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा-अर्चना अहले सुबह से ही शुरू हो गई थी। ब्रह्म बेला में गंगा जल से स्नान कर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के नए वस्त्र धारण करने के बाद पूजा-अर्चना शुरू हो गई । लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पूजा अर्चना कर रहे हैं ।वही छोटा नागपुर का सबसे पुराना मंदिर नागा मंदिर में भी अहले सुबह से पूजा-अर्चना शुरू हो गए ।