जमशेदपुर : झारखंड के आंदोलन में अपनी महती भूमिका निभाने वाले करनडीह निवासी (मूल निवासी खरसावां) झारखंड आंदोलनकारी बुधराम सोय की हालत बिगड़ती जा रही है. आज उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. उनके साथ जिन लोगों ने आंदोलन किया था आज वे भी मुंह फेरे हुए हैं. उन्हें अचानक से पैरालिसिस अटैक आने से इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है. वर्तमान में उनके परिवार के सदस्यों की माली हालत भी काफी खराब है.
औषधियों के सहारे ईलाज, सरकारी अमला भी साधे हुए है चुप्पी
झारखंड आंदोलनकारी बुधराम सोय के बारे में सरकारी अमला और झारखंड सरकार को भी जानकारी दे दी गई है. बावजूद सरकारी अमला चुप्पी साधे हुए हैं. परिवार के लोग तो यह सोचकर परेशान हैं कि जब सरायकेला जिला प्रशासन सक्रिय हुई तब उनकी ठीक से क्यों नहीं सुधि ली गई? उन्हें तत्काल बेहतर ईलाज के लिए भर्ती कराया जाना चाहिए था. जांच के नाम पर एक पूर्जा थमाकर ही सरकारी अमला ने अपना कोरम पूरा कर लिया.
1995 में पोटका से लड़े थे चुनाव
बुधराम सोय की बात करें तो उन्होंने 1995 में कांग्रेस पार्टी की टिकट पर पोटका विधानसभा से चुनाव भी लड़े थे. तब वे मात्र 3000 वोट से हार गए थे.
कांग्रेस लीडर सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी हैं वाकिफ
बुधराम सोय से कांग्रेस लीडर सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी अच्छी तरह से वाकिफ हैं. बावजूद उन्हें कांग्रेसियों की भी मदद नहीं मिल पा रही है.
भरा-पूरा है परिवार
बुधराम सोय के घर में पत्नी के अलावा दो बेटा और एक बेटी भी है. बावजूद घर की माली हालत ठीक नहीं है. परिवार के सदस्य उनका बेहतर ईलाज करा पाने में सक्षम नहीं हैं.
आजसू के रह चुके हैं पूर्व महासचिव
बुधराम सोय ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के पूर्व महासचिव भी रह चुके हैं. फरवरी में पैरालिसिस अटैक आया और वे बेजान हो गए. बुधराम सोय की बहन चांदमनी सोय का कहना है कि उनके भाई ने झारखंड अलग राज्य की लड़ाई में कई बार जेल की सजा काटी है. घर की कुर्की-जब्ती भी हुई थी.