जमशेदपुर : झारखंड राज्य दफादार-चौकीदार पंचायत जिला कमेटी की ओर से सोमवार को जिले के डीसी कार्यालय पर एक दिवसीय धरना दिया गया। धरना का नेतृत्व जिला अध्यक्ष पार्थ सारथी दत्ता ने की। अंत में जिले के डीसी को 9सूत्री मांगपत्र सौंपा गया। मांगों में मुख्य रूप से 1 जनवरी 1990 के पहले और बाद में रिटायर होने वाले चौकीदारों और दफादारों के परिवार के आश्रितों की नियुक्ति करने, बैंकों में ड्यूटी देने, कैदी वैन में ड्यूटी देने, सड़क सुरक्षा अभियान के तहत काम पर लगाने, दफादारों और चौकीदारों के लिए समय-समय पर जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन करने, जिला कार्यालय भवन का निर्माण के लिए जमीन देने संबंधी मांगें शामिल हैं।
कई थाने में बिन वेतन के काम कर रहे हैं आश्रित
धरना के दौरान राज्याध्यक्ष कृष्ण दयाल सिंह ने कहा कि आश्रित परिवार के लोग कई थाने में बिन वेतन के ही काम कर रहे हैं। आश्रितों की नियुक्ति झारखंड के सिर्फ पूर्वी सिंहभूम जिले में ही नहीं हुई है। बाकी जिले में आश्रित काम कर रहे हैं। 200 आश्रितों की सूची पूर्व में ही सौैंपी गई है जिसे आज तक लंबित रखा गया है।
31 सालों के बाद भी नहीं मिला एसीपी और एमएसीपी का लाभ
चौकीदारों और दफादारों का कहना है कि उनसे 31 सालों तक थाने में पहरेदारी का काम लिया गया, लेकिन एसीपी और एमएसीपी का लाभ तक नहीं दिया गया है। 11 सितंबर 2017 को डीसी और एसएसपी ने आदेश दिया था कि चौकीदारों और दफादारों से बैंक ड्यूटी, कैदी स्कॉट, रोड गश्ती, डाक ड्यूटी पर रोक लगाया गया है बावजूद शहर के थानेदार नियमों को ताक पर रखकर सभी को थाने का चौकीदार बना दिया गया है।
धरना में ये थे शामिल
धरना में मुख्य रूप से सुरेश सिंह, निर्मल भगत, लालू महतो, तरणी सिंह, सुमन सहिस, सुनिल कुमार महतो, शक्ति गोप, सपन कुमार खामराई, कृष्णा शरण, मुन्नी राम टुडू, संग्राम नायक, सुखदेव कुमार सिंह, तपन कुमार दत्ता, देवी नायक, सुदेव कुमार सिंह, विकास पातर, देवेश जैना, जगन्नाथ पातर आदि शामिल थे।