जमशेदपुर :बागबेड़ा के विजय उर्फ मोनू को गोली मारने के मामले में जब नीरज दुबे का नाम सामने आया तब कुछ अटपटा सा लग रहा था, लेकिन अब साफ हो गया है कि कन्हैया सिंह और नीरज दुबे ने मिलकर ही मोनू की हत्या की साजिश रची थी. नीरज दुबे पर डेढ़ साल पहले टाटानगर स्टेशन के पार्किंग स्टैंड में गोली चली थी. घटना में मोनू का भी नाम सामने आया था. इस कारण से कन्हैया और नीरज ने हाथ मिला लिया था.
घटना का खुलासा करते हुए एसएसपी किशोर कौशल ने कहा कि गोली चांद ने चलाई थी. घटना को अंजाम देने के लिए कन्हैया और नीरज ने चांद से ही संपर्क साधा था. 2 मई की सुबह 9 बजे डेविड, चांद और सुनील रजक घटनास्थल पर मौजूद था. वहीं दूसरी ओर आशीष तिवारी ने घटना के पहले रेकी की थी. घटना में ब्रजेश पांडेय का नाम हथियार को ठिकाने लगाने में आया है. ब्रजेश की बात करें तो वह सजायाफ्ता अपराधी है जबकि सुनील रजक हत्या के एक मामला का आरोपी है. बाकी के सभी आरोपियों का आपराधिक इतिहास भी रहा है.
क्या है जमीन विवाद का अंदरूनी मामला
मोनू और कन्हैया सिंह के साथ जमीन विवाद का जो मामला सामने आ रहा है उसमें मोनू की सास की नाना ससुर के मामा की जमीन को लेकर दो साल पहले विवाद हुआ था. उस जमीन में मोनू की सास की भी हिस्सेदारी है. कन्हैया सिंह उस जमीन के लिए एनओसी लेने के लिए मोनू की सास के घर पर गया हुआ था. इस बीच सास ने एनओसी के कागजात पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था. उसने जमीन बेचने का विरोध भी नहीं किया था.इस बीच कन्हैया सिंह को लगा था कि शायद मोनू ने ही सास को हस्ताक्षर नहीं करने के लिए कहा होगा और विवाद समय के साथ गहराता चला गया. मोनू अपनी अलग दुनिया में जी रहा है. उसे विवाद से कोई सरोकार नहीं है. वह जमशेदपुर की बजाए शहर के बाहर ही रहा करता है. उसे गैंग बनाने और लीडरशीप का कोई शौक नहीं है. उसने कहा कि वह किसी भी गैंग में शामिल नहीं है.