जमशेदपुर…
कहते हैं कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है. जून 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों राष्ट्रीय एसएमएसई पुरस्कार के तहत सामाजिक उद्यमिता के सूक्ष्म उद्यम श्रेणी में तृतीय पुरस्कार से नवाज़ी गई कौसर आरा अपनी मां जहां आरा को लेकर काफी परेशान थीं. उनकी मां पिछले दो सालों से चलने फिरने में असमर्थ हो चुकी हैं. महिलाओं को ब्यूटीशियिन का ट्रेनिंग देने के स्टार्ट अप को लेकर पीएम मोदी से अवार्ड पाना औऱ सरकार से मदद मिलना बड़ी बात थी लेकिन जिदंगी की जद्दोदहद इतनी बड़ी है कि आर्थिक रूप से कमजोर कौसर को कुछ औऱ मदद की जरूरत थी. वह अपनी मां के लिए व्हील चेयर खरीदने में सक्षम नहीं थी. लेकिन हालात से निराश हो चुकी कौसर अपनी व्यथा किसी से कह नहीं पा रही थी. मां के कष्ट को दूर नहीं कर पा रही थी और इधर पूरा परिवार भी संभालना है. ऐसे में उन्होंने समाजसेवी सुब्रत दास से संपर्क किया और पूरी कहानी बताई. सुब्रत दास ने नाम्या स्माइल फाउंडेशन के संस्थापक सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी से इस संबंध में बातचीत की औऱ कौसर के हालात से अवगत कराया.
कुणाल षाड़ंगी ने तत्काल नाम्या फाउंडेशन की तरफ से कौसर की मां जहां आरा को व्हील चेयर उपलब्ध कराया. मां की खुशी देखते ही बन रही थी क्योंकि अब वह छोटी मोटी जरूरतों के लिए वह निर्भर नहीं रहेगी और दिनचर्या के काम आसानी से निपटा सकेंगी. इससे बेटी कौसर आरा भी सुकून से अपने स्टार्ट अप पर ध्यान दे पाएगी.मां की परेशानी और अपने हालात से वह खुद को असहाय महसूस कर रही थी. अब उसकी जिंदगी से उम्मीद औऱ बढ़ गई है.
कुणाल षाड़ंगी ने कहा—-‘’ऐसी प्रतिभाशाली महिलाएं जो अपने बुरे हालात में भी छोटा सा ही सही स्टार्ट अप करने की अगर हिम्मत रखती हैं तो न सिर्फ केन्द्र सरकार की तरफ से उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है बल्कि नाम्या फाउंडेशन जैसी संस्थाएं ऐसी महिलाओं को हर तरह का सहयोग देने को तैयार हैं.माताजी की परेशानी दूर करके संस्था के लोग संतोष महसूस कर रहे हैं.’’