ASHOK KUMAR
जमशेदपुर : झारखंड के डीजीपी की ओर से खास दिशा-निर्देश मिलने के बाद झारखंड में होने वाली अफीम की खेती को नष्ट करने का काम पिछले 2-3 माह से पुलिस की ओर से किया जा रहा है. इस अभियान को पुलिस टीम की ओर से युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है. कोल्हान की बात करें तो सबसे ज्यादा पश्चिमी सिंहभूम जिले में अफीम की खेती होती है.
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अबतक 2000 एकड़ से अधिक की खेती किया गया नष्ट
पश्चिमी सिंहभूम के एसपी आशुतोष शेखर की ओर से दिशा-निर्देश मिलने के बाद अबतक 2000 एकड़ से भी अधिक की अफीम की खेती को नष्ट किया जा चुका है. यह अभियान अब भी जारी है. योजना बनाकर रोजाना किसी न किसी गांव में अभियान चलाया जा रहा है.
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नक्सल क्षेत्र में ही होती है अफीम की खेती
अफीम की खेती मूलरूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ही होती है. खेती के लिए जंगल वाले क्षेत्र का चयन किया जाता है जहां पर बाहरी किसी भी व्यक्ति का आवागमन नहीं होता है.
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चतरा में भी फल-फूल रही है अफीम की खेती
झारखंड़ के चतरा के बारे में पता चला है कि वहां पर अफीम की खेती सबसे ज्यादा होती है. वहां पर कुल 125 गांवों में अफीम की खेती होती है. ऐसा भी नहीं है कि अफीम की खेती करने वाले गिरोह के लोगों पर पुलिस की ओर से कार्रवाई नहीं की जाती है बल्कि समय-समय पर जेल भी भेजा जाता है. बावजूद नशे का यह कारोबार बदस्तुर जारी रहता है.
सभी जिले में चलता है जागरूकता अभियान
झारखंड के सभी जिले में अफीम की खेती के खिलाफ पुलिस की ओर से जागरूकता अभियान चलाने का भी काम किया जाता है. इस अभियान के लिए खासकर युवाओं की टोली को लेकर साथ निकलते हैं और गांव के लोगों को अफीम से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता है.
