जमशेदपुर : विधायक सरयू राय ने कहा कि संविधान के 75 साल पूर्ण होने के बाद इसे लेकर जिस तरीके से देश भर में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, वह दुखद है. हर राजनीतिक दल अपने स्तर पर संविधान की चर्चा कर रहा है. समीक्षा के नाम पर संविधान में प्रदत्त अधिकारों और उसकी व्याख्याओं को एकांगी होकर देखा जा रहा है. यह दुखद है.
राजनीतिक दल संविधान की व्याख्या अपने स्तर पर कर रहा
गणतंत्र दिवस के मौके पर बिष्टूपुर आवासीय कार्यालय और बारीडीह कार्यालय में ध्वजारोहण के बाद सरयू राय ने कहा कि राजनीतिक दल एकांगी होकर सोच रहे हैं और धारणा बना रहे हैं. दल विशेष यह चाहता है कि जो उनकी धारणा है. अन्य सियासी दल भी मानें. हर राजनीतिक दल संविधान की व्याख्या अपने स्तर पर कर रहा है. एक होड़-सी लगी हुई है. सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे को संविधान के प्रति कम आदर रखने वाला बता रहे हैं. यह देश का सौभाग्य है या दुर्भाग्य……, हमें समझना होगा.
हमारा संविधान लचीला है
सरयू राय ने कहा कि संविधान के प्रावधानों को हम अगर एकांगी होकर देखेंगे और चाहेंगे कि पूरा देश उनकी धारणा के आधार पर ही धारणा बनाए तो यह संविधान के साथ न्याय नहीं होगा. दुर्भाग्य से आज यही हो रहा है. हमारा संविधान लचीला है. हम इसमें देश, काल और परिस्थिति के अनुसार परिवर्तन कर सकते हैं. यह तो सर्वविदित तथ्य है कि संविधान की मूल भावना जो उसकी प्रस्तावना है, उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता. लेकिन 42वें संशोधन में संविधान की मूल धारणा में भी परिवर्तन कर दिया गया. उसमें पंथ निरपेक्ष और समाजवाद, ये दो शब्द जोड़ दिये गये. अब राजनीतिक दलों में इस बदलाव को लेकर अलग ही बहस चल पड़ी है. राजनीतिक लोग संविधान की समीक्षा करना चाहते हैं. इसके लिए एक आयोग भी गठित किया गया.
75 वर्षों में 106 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं
राजनीतिक दल संविधान की समीक्षा की बजाए आलोचना करने में लगे हुए हैं. होना तो यह चाहिए था कि जिस संविधान के 75 वर्षों में 106 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं, उनको लेकर एक आम राय बनाने की कोशिश की जाती. आम सहमति इस बात को लेकर बननी चाहिए थी कि आने वाले भविष्य में हम संविधान में क्या जोड़े, कैसे जोड़ें ताकि भविष्य में भी सब कुछ ठीक से चलता रहे. आज भी ऐसे स्वार्थी तत्व हैं जो भारत को एकजुट होकर आगे बढ़ने की दिशा में पलीता लगाते रहते हैं. ये स्वार्थी लोग हैं. आज के हालात ऐसे हैं कि भारत की सीमाओं पर तो संकट है ही देश के भीतर भी कम संकट नहीं है.
हिंदी और अंग्रेजी में लिखित हैं संविधान
सरयू राय ने कहा कि भारतीय संविधान हस्तलिखित है. हिंदी में, अंग्रेजी में भी. जब संविधान बन रहा था तब उस जमाने के नामी-गिरामी कलाकारों को बुलाया गया और उनसे कहा गया कि वे संविधान को सजाने में अपनी भूमिका निभाएं. इनमें नंदलाल बोस महत्वपूर्ण कलाकार थे. बुलाकर काम सौंपा गया. संविधान में जगह-जगह पर वृत्त चित्र बनाए. संविधान के पन्नों को सुंदर बनाया. संविधान में भारतीय सनातन धर्म के जो मूल तत्व हैं, उन्हें भी स्थान दिया गया. रामायण, महाभारत, वेद, पुराण आदि के तथ्य संविधान के पन्नों में हैं. अब उसी संविधान को लेकर जो आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. वह दुखी करने वाला है.