जमशेदपुर। बिष्टुपुर मेन रोड़ श्रीराम मन्दिर में चल रहे श्री अम्बा यज्ञ नव कुण्डीय श्री सहस्त्रचंडी महायज्ञ एवं श्रीमदद्देवी भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन गुरूवार को पूज्यनीय आचार्य विजय प्रकाश जी महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी से राजा जनक, शुक्रदेव संवाद, महर्षि वेदव्यास, जमेजय संवाद और माता भुवनेश्वरी दर्शन का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल भोगना पड़ता हैं। मनुष्य का जन्म भी अपने कर्म के अनुसार ही होता हैं, जिस प्रकार कर्म के कारण ही ब्रह्मा, बिष्णु महेश इस धरती पर अवतरीत हुए। भागवत कहती है कि कर्म किए बगैर हम एक क्षण भी नहीं रह सकते। कर्म हमारे अधीन हैं, उसका फल नहीं। अच्छे कर्मों को करने और बुरे कर्मों का परित्याग करने में ही हमारी भलाई है। अतः मनुष्य को चाहिए कि वह बुरे कर्मों से तो बचे लेकिन अच्छे कर्म भी माता भगवती के लिए करे। गुरूजी ने आगे कहा कि शुक्रदेव जी ने जन्म लेते ही ही अपने पिता को कहते हैं कि पिताश्री से संसार माया से लिप्त हैं और मैं इस माया में लिप्त नहीं हाना चाहता हूॅं, मैं सन्यास ग्रहण करूॅगा। शुक्रदेव जी से यह पुछने पर कि चिन्त में वैराग्य, ज्ञान, विज्ञान उत्पन्न हो जाने पर व्यक्ति को ग्रहस्थ आश्रम में रहना चाहिए अथवा मन में। इस पर जनक जी कहते हैं कि हे मानद, मानव, इन्द्रिया बड़ी बलवान होती हैं वे वश में नहीं रहती। वे अपरिपक्व बुद्धि वाले मनुष्य के मन में नाना प्रकार के विचार उत्पन्न कर देती हैं। यदि मनुष्य के मन में भोजन, शयन, सुख और पुत्र की इच्छा बनी रहे तो वह सन्यासी होकर भी इन विकारों सं मुक्त नहीं हो सकता। मां भगवती राज राजेश्वरी भुवनेश्वरी समेत कई राजाओं का वर्णन करते हुए आचार्य ने आगे कहा कि कर्म से ही इस लोक में सबको जन्म लेना पड़ता हैं। आज के कथा का मुख्य सार यह था कि अपने कर्मों के प्रति आप आज से ही सजग और सतर्क हो जाते हैं, तो फल अच्छा ही मिलेगा। देवी कथा के दौरान हुए भजन संगीत कार्यक्रम एवं धार्मिक धुन पर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया। दूसरे दिन गुरूवार को 37 यजमानों द्धारा श्री अम्बा यज्ञ नव कुण्डात्मक सहस्त्रचंडी महायज्ञ किया गया। शुक्रवार 30 दिसम्बर को नवरात्रि, कुमारी पूजन, श्री राम चरित्र एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव का संवाद होगा। शुक्रवार को भी 37 यजमानों द्धारा महायज्ञ किया जायेगा। श्रीविद्या शक्तिसर्वस्वम् चेन्नई के नेतृत्व में टाटानगर ईकाई द्धारा लौहनगरी में दूसरी बार आयोजित हो रहे इस धार्मिक उत्सव में कथा सुनने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। दोपहर में महायज्ञ एवं शाम में कथा के बाद आरती हुई। आरती के बाद भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।