जमशेदपुर : झारखंड में पोटका विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहीं मेनका सरदार 2005 में झाड़-फूंक करने वाले अमूल्य सरदार से चुनाव हार गई थीं. तब अमूल्य सरदार को 53,760 वोट मिले थे जबकि मेनका सरदार को 40,001 वोट पर ही संतोष करना पड़ा था. अमूल्य सरदार झामुमो की टिकट पर चुनाव लड़े थे. तब पूरे विधानसभा क्षेत्र के लोगों को नहीं लग रहा था कि अमूल्य सरदार जीत सकते हैं. अमूल्य सरदार का मुख्य पेशा ही झाड़-फूंक कर घर परिवार चलाना था. इस कारण से ही उनकी गांवों में अच्छी पहचान बन गई थी और लोगों ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और विधायक बना दिया. अमूल्य सरदार को लोग सोखा के नाम से भी जानते थे.
जेल में रहते हुए लड़ा था चुनाव
अमूल्य सरदार की बात करें तो वे चुनाव के कुछ दिनों पूर्व ही एक मामले में जेल में थे. चुनाव के बाद वे जेल से बाहर निकले थे. बावजूद पोटका के लोगों ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठाया और विधायक बना दिया. जेल से बाहर निकलने के बाद उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया था.
संजीव को एक बार हराया और दूसरी बार हार गईं
मेनका सरदार ने 2014 में झामुमो प्रत्याशी संजीव सरदार को हरा दिया था, लेकिन 2019 की चुनाव मं संजीव ने ही मेनका सरदार को हरा दिया. अब संजीव सरदार के साथ भाजपा प्रत्याशी मीरा मुंडा की टक्कर है. मीरा मुंडा झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी हैं.
पोटका में ही है मायका
मेनका सरदार के बारे में बताया जाता है कि उनका मायका पोटका के जुड़ी गांव में ही है. इस कारण से उन्हें विधायक बनने का मौका मिल गया. लोगों ने शुरूआती दौर में उन्हें हाथों-हाथ लिया था. पहली बार भाजपा की टिकट पर 1999 में चुनाव जीती थी. उसके बाद 2005 में हार गईं. ठीक इसके बाद दो बार विधायक बनीं.