जमशेदपुर : गुरूद्वारा साहब रामदास भट्टा की कमेटी श्री गुरु नानक देव जी के संदेश एवं सिख पंथ की मर्यादा तथा सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए महिला पुरोहितों के द्वारा आनंद कारज (शुभ विवाह) की पंथिक रस्म सिख रहित मर्यादा के साथ करवा रही है. शुरुआत को बहुत ही प्रशंसा एवं आदर के साथ लिया जा रहा है.
जमशेदपुर के हृदय स्थल बिष्टुपुर के रामदास भट्टा में स्थित गुरुद्वारा साहिब में यह दृश्य सिख श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही आम एवं साधारण बन चुका है. परंतु वर अथवा वधू जब लौहनगरी के बाहरी शहर अथवा पड़ोसी राज्य से संबंधित होते हैं तो उनके तथा उनके नातेदार-रिश्तेदारों के लिए यह एक नया अनुभव होता है. वे इसकी वीडियो तैयार ही नहीं करते वरन फेसबुक पर लाइव भी करते हैं.
मंगलवार को भी हुए एक आनंद कारज में चौथे गुरु श्री गुरु रामदास द्वारा रचित शब्द (अंग 773) बीबी सोनिया कौर ने पढ़े, जबकि रागों के साथ लावां (कीर्तन) बीबी मनजीत कौर ने पढ़ी और तबले में संगत हजूरी ग्रंथी बाबा हरसिमरन सिंह ने की. (नीचे भी पढ़ें)
बिष्टुपुर की रहने वाली मनजीत कौर अमृतसर से है और उसने 15 साल पहले शौकिया तौर पर कीर्तन का अभ्यास घर में शुरू किया और अब वह बड़े मनोयोग से रागों के साथ कीर्तन करती है तो श्रद्धालु भाव विभोर हो उठते हैं.
पति सरबजीत सिंह लाली टाटा स्टील में हैं और बेटी की किरणदीप कौर कनाडा में तथा बेटा हरप्रीत सिंह दिल्ली में एमबीए कर रहा है.
मनजीत कौर के अनुसार पारिवारिक जिम्मेवारी से थोड़ा सा आराम मिला तो उसने अपने आप को पंथ के लिए समर्पित करने का फैसला ले लिया. कमेटियों के आग्रह पर गुरुद्वारों में अपनी निष्काम सेवा देने के कारण खास मुकाम भी बना चुकी है. प्रत्येक महीने के पहले रविवार को मनजीत कौर को टेल्को गुरुद्वारा में कीर्तन करते हुए देखा जा सकता है.
गुरुद्वारा कमेटी के चेयरमैन बलबीर सिंह बल्ली एवं प्रधान सतनाम सिंह मारवाह के अनुसार गुरु नानक देव जी ने महिलाओं को बराबरी नहीं बल्कि ऊंचा दर्जा दिया है. गुरु ग्रंथ साहिब में भेदभाव का कोई स्थान नहीं है और गुरु गोविंद सिंह जी ने तो बेटियों को राजकुमारी का खिताब नवाजा हुआ है. उनके अनुसार उन्हें गर्व है कि रामदास भट्ठा में संगत भी कमेटी के फैसले के साथ खड़ी है. देश दुनिया से उन्हें प्रशंसा भरे फोन आते हैं. उनके अनुसार यह एक प्रेरणादायक शुरुआत है और उम्मीद करता हूं सभी कमेटियां इसका अनुसरण करेंगे. श्री गुरु नानक सभा बारीडीह गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने सराहना करते हुए कहा कि रामदास भट्टा कमेटी वाकई गुरु जी के पदचिन्हों पर चल रही है.
क्या है आनंद कारज
सिख धर्म में विवाह के रस्म को आनंद कारज अर्थात खुशी के कार्य कहां जाता है. वर वधु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के सामने माथा टेक कर बैठते हैं. श्री गुरु अमरदास द्वारा रचित विवाह के शब्द श्री गुरु ग्रंथ साहिब से पढ़े जाते हैं और श्री गुरु रामदास जी द्वारा रचित चार लावां कीर्तन के तौर पर रागी गायन करते हैं. वर वधू चार बार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की परिक्रमा लावां कीर्तन संग करते हैं और इसके साथ ही आनंद कारज संपन्न हो जाता है.