Jamshedpur : देश की सीमा की रक्षा करते हुए एक जनवरी 1992 को जम्मू कश्मीर में शहीद हुए पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी लावकेशरा के वीर सपूत बाघराय मार्डी के परिजन आज भी सरकारी उपेक्षा का दंश झेलने को मजबूर है। बिहार रेजिमेंट में बतौर सिपाही के रूप में योगदान देने वाले बाघराय मार्डी 21 वर्ष की उम्र में ही देश के लिए वीरगति को प्राप्त हो गये थे श्री मार्डी अविवाहित थे। उनके परिवार में अब सिर्फ भाई ठाकरा मार्डी, उनकी पत्नी और बच्चे ही हैं। मां मायदी मार्डी का दो वर्ष पूर्व निधन ही हो गया था, जबकि पिता दांसो मार्डी की पहले ही मौत उनसे पहले ही हो चुकी है। शहीद के ठाकरा मार्डी के मुताबिक उनके भाई के शहीद होने की खबर बिहार रेजिमेंट द्वारा दी गयी थी। मां को पेंशन मिलता था, लेकिन वर्ष 2006 से 2012 तक का पेंशन उन्हें नहीं मिला। काफी प्रयासों के बाद अब तक पेंशन की बकाया रकम 2.82 लाख रुपये उनके परिवार को नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि बकाया पेंशन की राशि के संबंध में उनलोगों ने बिहार रेजिमेंट के अधिकारीयों को पत्र भी लिखा था। लेकिन मां के गुजर जाने के बाद बकाया पेंशन की राशि नहीं मिली। ठाकरा मार्डी के मुताबिक उनके भाई के शहादत पर परिवार को गर्व है। लेकिन शहीद भाई को उचित सम्मान नहीं मिलने का दुःख भी है। शहीद के परिजन सरकारी आवास योजना समेत कई योजनाओं से वंचित हैं।