जमशेदपुर : मुसाबनी प्रखंड के पत्नीपाल गांव की पूजा स्थल में इतिहास से जुडी चार स्तंभ गढ़े होने से इस क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाए हुए है। यह पहला ऐसा पूज्य स्थल हे जहां स्तंभ को सरना धर्म के लोग अपने तरीके से पूजा करते हैं और बंगला भाषी अपने तरीके से। पत्नीपाल गांव मुसाबनी प्रखंड के शंख नदी तट पर स्थित है। गांव में सुख समृद्धी है। यंहा के ग्रामीण काफी खुशहाल गुजर-बसर करते हैं। जादातर लोग किसान हैं। इस गांव में सरना और बांगला भाषी लोग सदियों से निवास करते आ रहे हैं। गांव की एक पूजा स्थल में इतिहास लॉक से चार स्तंभ गड़े हैं। चारो ओर पेड़ो से घिरा हुआ है। लोग यहां नागा बाबा के नाम से पूजा करते हैं और बंगाल भाषी लोग इस महाभारत के अर्जुन की वाण समझकर पूजा अर्चन करते हैं। पूर्वजों से चली रही यह परम्परा आज भी कायम है। ग्रामीणों की मान्यता हे कि पूजा स्थल में पशुओं का प्रवेश वर्जित है। अगर कोई पशु प्रवेश करता है तो उसकी मौत हो जाती है। मासिक धर्म के वक्त अगर महिलाएं इधर प्रवेश करती है तो उसपर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। काफी पुरानी धार्मिक स्थल है। यंहा के देवता प्राकृतिक संरक्षण में रहते हैं। इसकी घेराबंदी तक नहीं की गई है। पूजा करने से कई लोगों की मन्नते भी पूरी हुई है। यह चारो स्तंभ पुरातत्व विभाग के लिए एक जांच का विषय है।