Jamshedpur : 1984 के सिख विरोधी दंगों के सैंतीस साल बाद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने शुक्रवार को पीड़ितों और उनके परिवारों को मुआवजा और न्याय देने में देरी को लेकर नौ राज्यों को नोटिस जारी किया है। पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने और दंगों के अपराधियों को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकारों की ओर से ढिलाई के संबंध में आयोग को किए गए कई अभ्यावेदनों का संज्ञान लेते हुए एनसीएम अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने आज दिल्ली, झारखंड, ओडि़शा, पश्चिम बंगाल, बिहार आदि राज्य की सरकार को नोटिस किया है। साथ ही हरियाणा, जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश ने उनसे पीड़ित परिवारों को अब तक प्रदान किए गए मुआवजे और दंगों के हर दर्ज मामले में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में आयोग को जानकारी और विवरण प्रदान करने वाली एक रिपोर्ट पेश करने के लिए भी कहा। एनसीएम ने राज्यों को अपने नोटिस में कहा की 1984 के सिख विरोधी दंगे देश के इतिहास में एक काला धब्बा है, जिसमें सिख समुदाय के हजारों निर्दोष व्यक्तियों का क्रूरतापूर्वक नरसंहार किया गया। उन्हें विस्थापित किया गया और उन्हें शारीरिक, भावनात्मक रूप से परेशान किया गया और आर्थिक रूप से भी नष्ट किया गया। यद्यपि भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा कई राहत पैकेजों की घोषणा की गई थी। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां घोषित राहत उपाय उन परिवारों तक नहीं पहुंचे हैं। 31 अक्टूबर 1984 को शुरू हुए दंगों के 37 साल बीत जाने के बावजूद मामले अभी भी लटके हुए हैं।
एनसीएम को फैसला स्वागत योग्य : गंभीर
सतनाम सिंह गंभीर ने कहा की राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा झारखंड सरकार को नोटिस लिए जाने का हम स्वागत करते है। सतनाम सिंह गंभीर की जनहित याचिका पर उच्चन्यायालय के आदेश पर 1984 के दंगा पीड़ित परिवारों के साथ इंसाफ़ करने के लिए 2016 में एक सदस्यी आयोग का गठन किया गया था परंतु आयोग ने आज तक इसकी गंभीरता से जांच नहीं की जो की काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।