जमशेदपुर। सिख समुदाय कल रविवार को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व का 418 वां दिवस बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाएगा। बारीडीह गुरुद्वारा साहिब में स्त्री सत्संग सभा की ओर से शुक्रवार को रखे गए श्री अखंड पाठ का भोग रविवार को डाला जाएगा उसके उपरांत भाई मनप्रीत सिंह, स्त्री सत्संग सभा एवं जसवीर कौर का जत्था कीर्तन गायन एवं शब्द विचार करेगा। प्रधान बीबी दविंदर कौर देवा बलविंदर कौर दलजीत कौर रानी बलविंदर कौर निर्मल कौर ने बताया कि कमेटी के सहयोग से तैयारी पूरी हो गई है और गुरुद्वारा साहब को सजाया गया है और गुरुद्वारा साहिब की इमारत रंगीन रोशनी से नहाई हुई है।
वर्किंग प्रेसिडेंट संदीप सिंह सोनू एवं महासचिव सुखविंदर सिंह ने बताया कि कमेटी की ओर से भरपूर सहयोग दिया जा रहा है और ज्ञानी कुलदीप सिंह, अवतार सिंह, सविंदर सिंह, खुशविंदर सिंह सुखराज सिंह जगजीत सिंह अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सुखविंदर सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधान जसपाल सिंह के साथ ही वर्तमान कमेटी के प्रधान, सेंट्रल स्त्री सत्संग सभा की कमलजीत कौर, नरेंद्र कौर सुखदीप कौर आदि को संगत की ओर से उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया जाएगा।
इलाके की संगत से उन्होंने गुरु दरबार में शामिल होने और तन मन धन से सेवा करने की अपील की है।
भाईचारे और समरसता का पर्याय श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी सिखों के 11वें जीवंत गुरु हैं और यह भाईचारे, मानववाद, समरसता, सामूहिकता का संदेश देते हैं।
इस श्री गुरु ग्रंथ साहिब में निराकार परम पिता परमेश्वर से जुड़ने का बहुत ही अच्छा सरल तरीका एवं संदेश दिया गया है।
सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने सिख गुरुओं के साथ ही मुस्लिम सूफी संत, भक्ति आंदोलन के संत नामदेव जी, संत कबीर जी, संत रविदास जी, संत रामानंद जी, भाट ब्राह्मणों द्वारा निराकार परमेश्वर की स्तुति को श्री गुरु ग्रंथ साहिब में स्थान दिया गया है।
यह किसी सिख गुरु की जीवनी अथवा इतिहास नहीं है वरन भगवान से कैसे जुड़े, सरलता के साथ कैसे मानववाद को प्राथमिकता दें,इसका मार्ग दिखाया गया है।
कुलविंदर सिंह के अनुसार 29 अगस्त 1604 मैं श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को श्री दरबार साहिब स्वर्ण मंदिर ले जाया गया एवं 1 सितंबर 1604 को पहला प्रकाश किया गया। पहले ग्रंथी बाबा गुरु घर के वजीर होने का श्रेय बाबा बुड्ढा जी को मिला।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से ही सिख मार्गदर्शन लेते हैं और सुबह में गुरुद्वारे जाकर शब्द सुनते हैं और उसी के अनुसार दिनचर्या निभाते हैं।