जमशेदपुर
रंगरेटा महासभा जमशेदपुर में इन दिनों भूचाल मचा हुआ है. पिछले दिनों स्वयंभु प्रधान मंजीत सिंह गिल को महासभा से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. अब महासभा के संस्थापक सदस्य हरजिन्दर सिंह रिंकू ने मंजीत पर पलटवार किया है. रिंकू ने बताया की 6 जून 2017 को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से बिरसानगर में रंगरेटा महासभा का गठन हुआ. सर्वप्रथम मैं हरजिन्दर सिंह रिंकू मेरे पर्सनल मोबाइल नंबर 91101 01628 के द्वारा ग्रुप शुरू हुआ, जिसका प्रमाण रंगरेटा महासभा के ग्रुप इंफॉर्मेशन में जाने से मिल जाएगा. सिख समुदाय के सारे तख्तों और पूरे विश्व की सिख जत्थेबंदियों ने कभी बिना केशधारी सिख को समाज की सेवा या कौम के इतिहास के प्रति समर्पण और जानकारी सांझा करने की कोई धार्मिक प्रतिबंध नहीं लगाया. गैर पगड़ीधारियों रंगरेटों से भेदभाव मंजीत की कुंठित सोच को दर्शाता है. ये व्यक्ति दशकों से लौहनगरी के विभिन्न गुरूद्वारो में विवाद कराकर प्रधान बनने के जुगाड़ में लगा हुआ है. ये चुनाव भी लड़ चुका है, जहां संगत ने इनको सिरे से नकारा. फिर भी ये जातिवाद के नाम हम सब को गुमराह कर हर जगह विवाद के लिए चर्चा में रहा. आज तक किसी भी गुरुद्वारे में इनको प्रधान पद नहीं मिला, जबकि रंगरेटा महासभा झारखंड में भी ये चुनकर नही बल्कि आमसभा में नॉमिटेड हुआ है और मंजीत इसी संगत के एहसान को भुलाकर आज इन्हें जाली बता रहा है. 25 सितम्बर को हुई आम सभा वर्तमान में गुरुद्वारों के प्रधान, सीनियर मीत प्रधान, महासचिव वरिष्ठ पदाधिकारी विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी बुजुर्ग, महिलाएं, बहनें सीनियर बुद्धिजीवियों नौजवान सभा के सदस्यों एवं नन्हे बच्चों को जाली बता कर पंजाब से 18 सौ किलोमीटर दूर आकर पूर्व बिहार अब झारखंड में बसे रंगरेटा कौम को जलील करने का काम मनजीत ने किया है. बाबा जीवन सिंह के वंशज रंगरेटो को संस्था या मंच के बहाने बांटना मंजीत का बड़ा अपराध है. रिंकू ने कहा की 2018 में अमर शहीद बाबा जीवन सिंह जी के शाहीदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आर्थिक लेनदेन में हुई भारी गड़बड़ी की वजह से समाज के कुछ बुद्धिजीवी एवं साफ सुथरे लोग अलग हुए, जबकि रंगरेटा महासभा ने किसी को निष्कासित किया और ना ही किसी ने इस्तीफा दिया, इसलिए विभाजन की बात बिल्कुल गलत है और फिर 2019 में एग्रीको में हुए समागम में कोषाध्यक्ष के पास ना तो बुक की जानकारी थी और ना ही फंड की. वन मैन शो ने हर विभाग पर संदिग्ध रूप से कब्जा जमा रखा था. मंच में जगह देने के लिए फंड अतिथि के रूप में राजनीतिक फायदा बचाने वालों को सम्मानित करना, एक बड़े सिख उद्योगपति के लिए गरीब संगत को नौकरी व पैसों का लालच देकर गुमराह करना एवं निजी फायदे के लिए धरना प्रदर्शन करवाना और तो और रंगरेटा महासभा की बैठक बुलाकर राजनीतिक कार्यक्रमों में संगत को जबरन ले जाने का अपराध मंजीत करते आ रहे हैं. अब विरोध हुआ तो तिलमिलाने लगा है. जब मैदान से भागना पड़ता है तो कायर लोग निजी टिप्पणी कर अपनी गंदी भड़ास को प्रदर्शित करता है. रिंकू ने यह भी कहा की अब सब दूध का दूध और पानी का पानी करके रहेंगे.