ASHOK KUMAR
जमशेदपुर : अगर किसी पुलिसवाले पर दुष्कर्म करने या यौन शोषण करने का मामला थाने में दर्ज कराया जाता है तब उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती है. जबकि आम लोगों पर एफआइआर दर्ज होते ही पुलिस यह कहकर आरोपी को जेल भेज देती है कि बाकी का काम कोर्ट करेगी.

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केस- वन (परसुडीह)
परसुडीह थाने के एएसआई शिव शंकर सिंह के खिलाफ 17 अगस्त 2023 को ही साकची के महिला थाने में यौन शोषण करने का केस दर्ज कराया गया था. इस मामले में विभाग की ओर से सिर्फ आरोपी को सस्पेंड ही किया गया है. समाचार लिखे जाने तक गिरफ्तारी नहीं की गई है.
केस- टू (बहरागोड़ा)
बहरागोड़ा की रहनेवाली एक महिला ने एसआई रवि रंजन के खिलाफ शादी करने का झांसा देकर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था. घटना 2020 में घटी थी. इस मामले में भी पुलिस की ओर से आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. अंततः दो सालों के बाद आरोपी कोर्ट से बरी हो गया.
केस- थ्री (बहरागोड़ा)
वर्ष 2017 में बहरागोड़ा थाने में पद्स्थापित जवान बरजो पूर्ति के खिलाफ एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. गर्भवती होने पर बरजो ने उसका गर्भपात करवाने का प्रयास किया था. थाने में नहीं सुने जाने के कारण मामला एसएसपी तक लेकर तब झामुमो नेता रमेश हांसदा पहुंचे हुए थे. बाद में मामला सीएम तक भी पहुंचा था, लेकिन जवान पर कार्रवाई नहीं हुई और न ही मामला ही दर्ज हुआ था.
केस- फोर (बोड़ाम)
गम्हरिया मीरूडीह की विधवा ने बोड़ाम थाने में पदस्थापित दारोगा विमल कुमार के खिलाफ तीन दिनों तक कमरे में बंद कर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. मामला मार्च 2023 में दर्ज कराया गया था. विधवा वैवाहिक कार्यक्रम में बरतन धोने का काम करती थी. 16 अप्रैल 2022 को विधवा को कमरे की सफाई के नाम पर भीतर बुलाया था और दारोगा ने दुष्कर्म किया था. घटना के बाद मामला दर्ज हुआ, लेकिन आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई.
