दो पोकलेन, 50 रेलकर्मी, 20 आरपीएफ, क्यूआरटी, बागबेड़ा और परसुडीह पुलिस अतिक्रमण हटाओ में रहे मुस्तैद, दण्डधिकारी की थी प्रतिनियुक्ति, सांसद समेत विभिन्न राजनितिक दलों ने उठाये हाथ
जमशेदपुर।
टाटानगर रेलवे स्टेशन के सामने करीब 44 साल पुराने बसे सिंह होटल को अंततः रेलवे ने शुक्रवार को जमींदोज कर दिया. पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत सुबह 10 बजे ही टाटानगर के सहायक अभियंता वन हरिप्रसाद सतपत्ती के नेतृत्व में दो पोकलेन और 50 इंजिनियरिंग विभाग के कर्मचारियों की मदद से रेलवे ने अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरुआत की. जिला प्रशासन की ओर से विधी व्यवस्था बनाये रखने के लिए प्रखंड से बीपीआरओ वीर किशोर सिंहदेव की प्रतिनियुक्ति की गई थी. आरपीएफ के सहायक कमाडेंट केसी नायक, पोस्ट प्रभारी एसके तिवारी, बागबेड़ा थानेदार कौशलेन्द्र कुमार झा, परसुडीह थाना प्रभारी राम कुमार वर्मा दल बल के साथ मौजूद रहे. पुलिस लाइन से भारी संख्या में क्यूआरटी जवानों को भी तैनात किया गया था, हालांकि अभियान के दौरान किसी भी प्रकार का विरोध नहीं हुआ. रेलवे जमीन पर दखल लेने को लेकर 25 वर्षों से प्रयासरत थी. इस बीच जब होटल तोड़ने की कोशिश की गई हाईकोर्ट से स्टे ले लिया गया. इस बीच तीन बार स्टे मिलने से जमीन को कब्ज़ा मुक्त नहीं कराया जा सका. अंततः चौथी बार रेलवे ने हाईकोर्ट से केस जीता. बुधवार शाम को आर्डर आने के बाद रेलवे ने बिना समय गँवाते हुए 24 घंटे में जमीन पर बसे सिंह होटल को जमींदोज कर दिया. होटल मालिक टुनटुन सिंह फिलहाल हत्या मामले में जेल में बंद है और एमजीएम में इलाजरत है. उनकी पत्नी पूर्व जिला परिषद से लेकर सेटिंग गटिंग के माहिर माने जाने वाले होटल के मालिक कुली सिंह केस हारने के बाद काफी प्रयास में थे कि उनका होटल बच जाये. सांसद आवास से लेकर विभिन्न राजनितिक दलों के जिला अध्यक्ष तक गुहार लेकर गए, लेकिन कोर्ट के आदेश को देखते हुए किसी ने मामले में हाथ नहीं डाला, जिस कारण दाल नहीं गल सकी.
कुली सिंह सुबह आये और फिर जुगसलाई एबी पैलेस होटल से देख रहे थे आशियाना उजड़ते
अभियान को लेकर रेलवे का काफिला जब सुबह पहुंचा तो सिंह होटल के मालिक कुली सिंह एक बार यहां आये. उसके बाद कर्मचारियों को सामान हटाने का निर्देश देते हुए चल दिए. उन्होंने जुगसलाई होटल से सीसीटीवी में अतिक्रमण हटाओ अभियान का लाइव देखा. अभियान के दौरान न्यू सिंह होटल के मालिक पप्पू सिंह वहां मौजूद रहे. पूर्व रेलवे ठेकेदार सतेंद्र सिंह की दुकान, सिंह होटल का जनरल स्टोर, मिष्टान दुकान भी कंस्ट्रक्शन की भेंट चढ़ गया. हालांकि मालिक ऊपर मन से भले ही कह रहे थे कि 44 साल राज किया, लेकिन अंदर ही अंदर उन्हें गाढ़ी कमाई का साधन उजड़ने से मन भावुक भी होते भी दिख रहा था.
देर रात तक होती थी अड्डेबाजी, नशेड़ियों का रहता था जमावड़ा
सिंह होटल जब तक रहा देर रात तक चलता था. अन्य होटलों की तुलना में पर्व त्यौहार में भी कभी होटल बंद नहीं होता था. देर रात तक शहर के कोने कोने से लोग खाने और नशा की लत के कारण आते थे. पिछले तीन चार सालों से शराब की बिक्री भले ही बंद हो गई थी, लेकिन फिर भी नशेड़ी पहुंचते थे. कई बार यहां बड़ी मारपीट की घटनाएं भी होती थी. हत्या तक भी हो चुकी है. कई ऐसे मामले हैं जिसे लेकर सिंह होटल की चर्चा आने वाले दिनों तक होती रहेगी. बड़े राजनेता नेता, पुलिस अधिकारी, रेलवे ठेकेदार, रेलवे अधिकारी सभी की यहां बैठकी होती थी.
रेलवे के पक्ष में आया कोर्ट का फैसला : असिस्टेंट कमाडेंट
हर विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए रेलवे ने सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे जहां आरपीएफ केसी नायक स्वयं अभियान में सुरक्षा की मॉनिटरिंग कर रहे थे. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि रेलवे की जमीन पर जितने भी अनऑथराइज्ड अतिक्रमण है. कोर्ट के निर्देश पर विशेष अभियान चलाकर वैसे जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस अभियान से अपराध पर भी अंकुश लगाने में सफलता मिलेगी.