जमशेदपुर : सरना धर्म कोड की मांग को लेकर जहां 30 दिसंबर को आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से भारत बंद किया गया था. इसी मुद्दे को लेकर एक बार फिर 7 अप्रैल को भारत बंद की घोषणा कर दी गई है. यह घोषणा पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने की है. उन्होंने पत्रकार वार्ता में बताया कि भारत बंद के दौरान रेल और रोड का चक्का जाम किया जाएगा.
पूरे मामले को लेकर सालखन मुर्मू ने शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम पर एक पत्र भी भेजा है. इस दिशा में 31 मार्च तक पहल करने का अल्टीमेटम दिया गया है. अन्यथा भारत बंद हर हाल में होगा.
देश में हैं 15 करोड़ आदिवासी
सालखन मुर्मू का कहना है कि “सरना धर्म कोड” भारत के प्रकृति पूजक लगभग 15 करोड़ हैं. आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी की जीवन रेखा है. मगर आदिवासियों को उनकी धार्मिक आजादी से वंचित करने के लिए कांग्रेस-बीजेपी दोषी है. 1951 की जनगणना तक यह प्रावधान था. बाद में कांग्रेस ने हटा दिया और अब भाजपा जबरन आदिवासियों को हिंदू बनाना चाहती है.
50 लाख आदिवासियों ने लिखाया था सरना धर्म
2011 की जनगणना में 50 लाख आदिवासियों ने सरना धर्म लिखाया था. सरना धर्म कोड की मान्यता मानवता और प्रकृति-पर्यावरण की सुरक्षार्थ भी अनिवार्य है. सरना हेतू प्रधानमंत्री का उलिहातू दौरा (15.11.23) और महामहिम राष्ट्रपति का बारीपदा दौरा (20.11.23) भी बेकार साबित हुआ है.
आखिर कहां फरियाद करें
भारत के आदिवासियों के लिए यह कैसी विडंबना है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक महामहिम राष्ट्रपति के पद पर भी एक आदिवासी हैं. भारत के संविधान में धार्मिक आजादी की व्यवस्था मौलिक अधिकार है. हमें धार्मिक आजादी से वंचित करना अन्याय, अत्याचार और शोषण नहीं तो क्या है?. आखिर हम जाएं तो कहां जाएं?. फिर 7 अप्रैल 2024 को भारत बंद, रेल-रोड चक्का जाम करने को मजबूर हैं.