जमशेदपुर : जमशेदपुर की अंतराष्ट्रीय कवयित्री और लेखिका अंकिता सिन्हा को रांची में आयोजित सम्मान समारोह में उनकी पुस्तक करोनाकाल एवं मेरी दुनिया मेरी मां की रचना के लिए स्पेनिन गौरव सम्मान से नवाजा गया. मौके पर मुख्य अतिथि उर्सुलाइन इंटर कॉलेज की प्राचार्य डॉ. मेरी ग्रेस थीं. उन्होंने कहा कि सृजनात्मकता के लिए साहित्य जरूरी है. साहित्य से बच्चों के ज्ञान में विविधता आती है. ज्ञान के साथ विकास के लिए जीवन में साहित्य का संबंध जरूरी है.
मौके पर ज्ञारखंड के चिंतक और लेखक डॉ मयंक मुरारी को सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान प्रदान किया गया. इसके अलावा नंदा पांडेय, अंकिता सिन्हा और मनोज कपरदार को स्पेनिन गौरव सम्मान दिया गया.
साहित्यकार डॉ. अशोक प्रियदर्शी ने क्या कहा
साहित्यकार डॉ अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि साहित्य सम्मान से युवाओं में रचनात्मक लेखन का विकास होता है. युवा इससे प्रेरित होते हैं और उनमें कुछ बेहतर करने का विश्वास आता है.
सिद्धनाथ थे देश के विश्ष्ट साहित्यकार
मुख्य वक्ता डॉ कमल कुमार बोस ने कहा कि सिद्धनाथ कुमार देश के विशिष्ट साहित्यकार थे. अपना पूरा जीवन नाटक के विविध शिल्प और उसके पहलुओं के अध्ययन पर व्यतीत किया. साहित्य के किसी एक विधा में जितना उन्होंने काम किया, वह अनुकरणीय है.
मौके पर ये थे मौजूद
मौके पर डॉ माया प्रसाद, स्पेनिन के डायरेक्टर डॉ कुमार संजय, निर्मला मुंडा, संजना भटटाचार्या, डॉ शेफालिका सिन्हा, प्रमिला, सरोज, कुलदीप, मनीष, पीके झा, राकेश रमण, मुक्ति शाहदेव, वीणा श्रीवास्तव, पंकज पुष्कर आदि मौजूद थे.