जमशेदपुर : संथाली भाषा के विद्वान शिक्षाविद और प्रद्मश्री प्रोफेसर दिगंबर हांसदा का गुरुवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। करनडीह स्थित लाल बहादुर शास्त्री कालेज के पूर्व प्राचार्य रहे पद्मश्री प्रो. दिगंबर हांसदा 81 वर्ष के थे। वर्ष 2018 में संथाली भाषा के विद्वान प्रो. दिगंबर हांसदा को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था। इधर, उनके निधन की खबर मिलते ही जनप्रतिनिधियों समेत जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारी उनके निवास स्थान पहुंच उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
16 अक्टूबर 1939 को पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित घाटशिला के डोभापानी में जन्मे दिगंबर हांसदा का ट्राइबल और उनकी भाषा के उत्थान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्व. हांसदा करनडीह के सारजोमटोला में रहते थे। उनकी प्राथमिक शिक्षा राजदोहा मिडिल स्कूल से हुई थी, जबकि उन्होंने मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा मानपुर हाईस्कूल से दी थी। उन्होंने 1963 में रांची यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में स्नातक और 1965 में एमए किया।
श्रधांजलि देने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास
उनके निधन की खबर मिलते ही राज्य के परिवहन मंत्री चम्पई सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत जिले के उपायुक्त और अन्य कई लोग उनके निवास स्थान पहुंचे उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। साथ ही परिवार के लोगो के साथ कुछ समय बिता कर उन्हें सांत्वना दिया।
दिगंबर हांसदा के निधन पर डॉ अजय कुमार ने जताया शोक
इधर, जमशेदपुर के पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार ने शिक्षाविद सह पद्मश्री दिगंबर हांसदा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। डॉ अजय ने कहा कि पद्मश्री दिगंबर हांसदा एक प्रख्यात लेखक, विद्वान, महान कवि, एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक अच्छे वक्ता, और एक अद्भुत इंसान थे। झारखंड ने अपने एक महान बेटे को खो दिया है, जिसे भुला पाना मुश्किल होगा। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम के लिए 2018 में स्वर्गीय श्री हांसदा को भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था। डॉ अजय ने कहा कि वह पद्मश्री दिगंबर हंसदा के निधन की खबर सुनकर पूरी तरह सदमे में हैं और प्रार्थना की कि उनके परिवार को इस दुख से उबरने की शक्ति मिले।