जमशेदपुर : रेल मंडल के डीआरएम का आगमन जब भी रेल मंडल के स्टेशनों पर होता है तब संबंधित रेल अधिकारी सकते में आ जाते हैं. वे स्टेशन की सभी व्यवस्थाओं को अप-टू-डेट करने में जुट जाते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है. इस बात की चर्चा तब होती है जब डीआरएम का आगमन होता है. पत्रकार भी यही सवाल करते हैं कि आखिर डीआरएम के आगमन पर ही रेल अधिकारी क्यों सक्रिय होते हैं. अगर पहले से ही वे सक्रिय होते तब उनके आगमन पर उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होती. वे आम दिनों की तरह ही अपने काम में लगे रहते.
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रेल जीएम के आगमन पर डीआरएम रहते हैं सकते में
जब कभी रेल जीएम का आगमन जोन के किसी रेलवे स्टेशन पर होता है जब स्टेशन के अधिकारी सकते में नहीं रहते हैं बल्कि रेल मंडल के डीआरएम ही सख्ते में आ जाते हैं. वे कुछ दिनों पहले से ही संबंधित स्टेशन पर पहुंचकर यात्री सुविधाओं का जायजा लेते हैं और जहां कमी नजर आती है है उसे अप-टू-डेट करने में जुटे रहते हैं.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के आगमन पर जीएम आते हैं सकते में
जब कभी किसी बड़ी योजनाओं को स्वीकृत करने की बात आती है तब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन या वाइस चेयरमैन का जब भी स्टेशनों पर आगमन होता है तब खासकर जोन के रेल जीएम सकते में आ जाते हैं. तब जोन के सभी डीआरएम संबंधित स्टेशन पर मौजूद रहते हैं और मिल-जुलकर लंबित कार्यों को पूरा कराने में जुट जाते हैं.
रेल जीएम का क्या होता है तर्क
इस तरह के मामले में रेल जीएम का तर्क होता है कि वार्षिक इंसपेक्शन के क्रम में उन्हें रेल मंडल के सभी स्टेशनों पर जाना पड़ता है. वार्षिक इंसपेक्शन के बहाने ही सालभर के लंबित कार्यों को पूरा कर लिया जाता है. ऐसा रेलवे बोर्ड से ही आदेश है. इस दौरान रंग-रोगन से लेकर अन्य कार्यों को पूरा करने का काम किया जाता है.
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