Ashok Kumar
जमशेदपुर : चक्रधरपुर रेल मंडल के 10 फीसदी रेलवे क्वार्टरों पर उस क्षेत्र के दबंगों का कब्जा है. दबंगों से रेलवे क्वार्टर मुक्त कराने से रेलवे प्रशासन कतराता है. इसको लेकर बराबर योजनायें बनती है. समय का भी निर्धारण किया जाता है, लेकिन उसके बाद सबकुछ जस-का-तस बना ही रह जाता है. रेलवे की मान्यता प्राप्त यूनियनों की ओर से भी रेलवे क्वार्टरों का मुद्दा उठाया जाता है, लेकिन उनकी बातों पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है. नतिजा यह होता है कि इसका खामियाजा रेलवे को उठाना पड़ता है. इससे रेलवे को करोड़ों के राजस्व की क्षति हो रही है.
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पीएनएम में बराबर उठाया जाता है मुद्दा
चक्रधरपुर रेल मंडल की बात करें तो यहां पर मान्यता प्राप्त यूनियन में मेंस कांग्रेस ही शामिल है. इस यूनियन की ओर से बराबर मासिक मीटिंग में रेलवे क्वार्टरों पर दबंगों की ओर से अवैध कब्जा करने का मुद्दा उठाया जाता है. मीटिंग में तो रेल के प्रशासनिक अधिकारी आश्वासन देते हैं और हामि भी भरते हैं, लेकिन इस दिशा में आगे चलकर किसी तरह की पहल तक नहीं की जाती है.
पांच फीसदी क्वार्टर पर रेलवे ठेकेदारों का है कब्जा
चक्रधरपुर रेल मंडल में पांच फीसदी रेलवे क्वार्टरों पर तो रेलवे ठेकेदारों का ही कब्जा है. उंची पहुंच वाले ठेकेदार के यहां पर जो भी मजदूर काम करते हैं वे स्थानीय क्षेत्र में किराये का मकान लेकर नहीं रहते हैं बल्कि ठेकेदार की ओर से रेलवे क्वार्टर ही उन्हें मुहैया करवा दिया जाता है. रेलवे क्वार्टरों के भीतर ही निर्माण सामग्री भी रखने का काम किया जाता है. ऐसी बात भी नहीं है कि इसकी जानकारी किसी भी रेल के वरीय अधिकारी को जानकारी नहीं बल्कि हर तरह की गतिविधियों से वे वाकिफ हैं.
रेल जीएम का भी प्रभाव नहीं
साउथ इस्टर्न रेलवे की जीएम अर्चना जोशी ने टाटानगर स्टेशन का जायजा लेने के दौरान रेलवे मेंस कांग्रेस की ओर से अवैध कब्जे की शिकायत की गई थी. इसपर रेल जीएम की ओर से चक्रधरपुर रेल मंडल के वरीय अधिकारियों को इस दिशा में पहल करने का आदेश दिया गया था. बावजूद आज डेढ़ साल बीत गए हैं, लेकिन किसी तरह की कागजी प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गयी है. रेल जीएम से शिकायत के बाद रेल कर्मचारियों को लग रहा था कि शायद उन्हें अब जल्द ही रेलवे क्वार्टरों का लाभ मिलने लगेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.
रेल कर्मचारियों के लिये क्वार्टर नहीं
अधिकांश रेल कर्मचारियों को विभाग की ओर से रेलवे क्वार्टर तक मुहैया नहीं कराया गया है. वे इसके लिये बराबर आवेदन भी देते हैं, लेकिन क्वार्टर नहीं होने की बात कहकर वे टाल-मटोल करते हैं. कब्जे वाली क्वार्टर को तो वे खाली करवाने की दिशा में ध्यान ही नहीं देते हैं.
बराबर मुद्दा उठाता है मेंस काग्रेस- शशि मिश्रा
चक्रधरपुर रेल मंडल के मान्यता प्राप्त यूनियन मेंस काग्रेस के मंडल संयोजक शशि कुमार मिश्रा का कहना है कि उनकी ओर से डीआरएम के साथ होनेवाली पीएनएम में बराबर मुद्दा उठाया जाता है. सबकुछ तय भी होता है, लेकिन अवैध कब्जेवाली क्वार्टरों को मुक्त कराने का काम नहीं किया जाता है. इस दिशा में रेल प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है. इससे रेलवे के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.
डीआरएम ने रिसिव नहीं किया फोन
रेलवे क्वार्टरों पर अवैध कब्जा को लेकर चक्रधरपुर रेल मंडल के डीआरएम अरूण जे राठौड़ से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसिव नही किया.
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