जमशेदपुर :टाटानगर रेलवे स्टेशन का री-डेवलपमेंट के लिए पहले से ही रेलवे की ओर से ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है, लेकिन अभी तक रेलवे अपना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाई है. कारण यह है कि सबसे बड़ा रोड़ा अतिक्रमण ही बना हुआ है. अब रेल अधिकारियों के हाथ में अतिक्रमण हटाना तो है नहीं. उनके लिए जिला प्रशासन से ही सहयोग लिया जाएगा. इसके लिए उनकी ओर से पत्राचार भी किया गया है.
जहां रेलवे की ओर से स्टेशन के आस-पास की बस्तियों को जमींदोज करने की योजना बनायी जा रही है वहीं दबंग अतिक्रमणकारी अब भी तेजी से अतिक्रमण कर रहे हैं. यह अतिक्रमण स्टेशन चौक पर ही ठीक बागबेड़ा थाने के टीओपी के आगे ही किया जा रहा है. आरोप है कि पुलिस वाले, आरपीएफ और रेल अधिकारी ही अतिक्रमण को संरक्षण दे रहे हैं.
चर्चा का विषय बना अवैध कब्जा
रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से मकान बनाना चर्चा का विषय बना हुआ है. इसकी चर्चा तो पहले से ही होती रही है. जब ही कब्जा हटाओ अभियान की शुरूआत होती है तब राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने लगती है. नेता बिल से बाहर निकल जाते हैं.
रेलवे ट्रॉफिक कॉलोनी पर केंद्रीय नेता ने किया था रहम
टाटानगर स्टेशन से सटे हुए ही रेलवे ट्रॉफिक कॉलोनी है. इस कॉलोनी में अवैध रूप से बने मकानों का तोड़ने की नोटिस भी दी गई थी, लेकिन तब केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने इस आदेश पर रोक लगाई थी. 10 साल पहले कहा गया था कि बस्ती के लोग अगर भाजपा को वोट देते हैं तो उनका मकान नहीं टूटने देंगे. बस्ती के लोगों ने वोट तो दिया, लेकिन अब मकान टूटने की कगार पर है.
सांसद विद्युत महतो ने की थी पैरवी
जब ट्रॉफिक कॉलोनी को तोड़ने की कवायद चल रही थी तब सांसद विद्युत महतो की ओर से लोगों की पैरवी की गई थी. कई दशकों से ट्रॉफिक कॉलोनी रडार पर है, लेकिन अब बचने की कोई उम्मीद नहीं है.
खासमहल से जगन्नाथ मंदिर नहीं हटा पाई रेलवे
अभी पिछले 10 दिनों पहले ही रेलवे की ओर से खासमहल में बने जगन्नाथ मंदिर को वहां से हटाए जाने की योजना थी, लेकिन विरोध के कारण रेल अधिकारियों को बैरंग लौटना पड़ा. मंदिर कब्जे की जमीन पर जरूर है, लेकिन तब रेल और स्थानीय प्रशासन कहां था. इसी का विरोध स्थानीय और एक संस्था के लोग कर रहे हैं. लोगों का आरोप है कि पुलिस अतिक्रमणकारियों से मोटी रकम लेकर संरक्षण देती है.