Ashok kumar
जमशेदपुर : मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने उत्तर भारत की बिहारियों समेत हिन्दी भाषियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने पर अंततः माफी मांग ली है. इसके बाद मामला समाप्त हो गया है. यह मामला जमशेदपुर के न्यायालय में वर्ष 2007 में दर्ज कराया गया था. मामला दर्ज कराने वाले जमशेदपुर सिविल कोर्ट के अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने बताया कि राज ठाकरे ने बिना शर्त मांगी माफी मांग ली है.
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किस तरह से की थी टिप्पणी
जमशेदपुर उत्तर भारतीयों बिहारियों समेत हिंदी भाषियों के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी कर क्षेत्रवाद फैलाने, विष वमन और धमकी दी गई थी. घटना 9 मार्च 2007 की है. मुंबई सायन षणमुखानंद सभागार में मनसे का स्थापना दिवस मनाने के समय राज ठाकरे ने कही थी. कहा था की महाराष्ट्र में मराठीयों का सम्मान करो वरना थप्पड़ के लिए तैयार रहो. नहीं तो कान पकड़कर खदेड़ा जाएंगे. उत्तर भारतीयों बिहारियों और हिंदी भाषियों के प्रति गैर संवैधानिक भाषा एवं आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर स्थाई निवासी छपरा तरैया एवं जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने सोनारी थाना में दिनांक 11 मार्च 2007 को मनसे प्रमुख राज ठाकरे के विरुद्ध उत्तर भारतीयों के सम्मान को ठेस पहुंचाने को लेकर लिखित शिकायत की थी.
13 मार्च को दर्ज कराया था शिकायतवाद
जिला पुलिस की ओर से कार्रवाई नहीं किये जाने पर 13 मार्च 2007 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जमशेदपुर के न्यायालय में आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर राज ठाकरे के विरुद्ध शिकायतवाद दायर की गई थी.
11 अप्रैल को कार्ट ने लिया था संज्ञान
विशेष सुनवाई के लिए न्यायालय डीसी अवस्थी प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में सुनवाई के लिए स्थानांतरित की गई जहां पर शिकायतकर्ता सुधीर कुमार पप्पू गवाह ज्ञानचंद का परीक्षण एवं अखबारों की कतरने न्यायालय के समक्ष रखने पर दिनांक 11 अप्रैल 2007 को माननीय न्यायालय के द्वारा मनसे प्रमुख राज ठाकरे के विरुद्ध धारा 153a, 153b और 504 भारतीय दंड विधान के अंतर्गत संज्ञान लेते हुए समन जारी की गई राज ठाकरे के उपस्थित नहीं होने पर जमानती वारंट गैर जमानती वारंट एवं इश्तिहार जारी की गई थी.
तीस हजारी कोर्ट में स्थानांतरण हुआ था मामला
मनसे प्रमुख राज ठाकरे अपने अधिवक्ता के माध्यम से उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय झारखंड में कई बार याचिका दाखिल की परंतु राहत नहीं मिलने पर दिनांक 30 /9 /2011 को पुनः मनसे प्रमुख राज ठाकरे के द्वारा उच्चतम न्यायालय दिल्ली में स्थानानतरण के लिये याचिका दाखिल की उसमें उन्होंने कहा कि मुझे झारखंड के न्यायालय में उपस्थिति होने के लिए किसी प्रकार की कठिनाई नहीं है मगर झारखंड राज्य सरकार से विधि-व्यवस्था पर मंतव्य मांग लिया जाए. तब सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से विधि-व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगी थी. राज्य सरकार ने अपने मंतव्य में कहा कि अगर राज ठाकरे झारखंड आते हैं तो विधि व्यवस्था में बाधा हो सकती है. इसी रिपोर्ट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त मुकदमा को जमशेदपुर न्यायालय से तीस हजारी कोर्ट में स्थानांतरण कर दिया जमशेदपुर न्यायालय से स्थानांतरण कर तीस हजारी न्यायालय नई दिल्ली भेज दी गई थी. तीस हजारी नई दिल्ली न्यायालय ने यदुवंशी न्यायिक पदाधिकारी के न्यायालय में शिकायतकर्ता सुधीर कुमार पप्पू अपनी उपस्थिति दर्ज की थी.
16 दिसंबर 2012 को निकला था वारंट
सुनवाई के बाद मनसे प्रमुख राज ठाकरे के विरुद्ध गैर जमानती वारंट दिनांक 16 दिसंबर 2012 को जारी करते हुए मुंबई कमिश्नर को पत्र जारी कर गिरफ्तारी की सुनिश्चित करने को कहा गया था. न्यायालय के आदेश के विरुद्ध मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने दिल्ली उच्च न्यायालय में गैर जमानती वारंट पर रोक लगाने एवं मुकदमा निरस्त करने के लिए धारा 482 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत याचिका दाखिल की जहां 10 वर्षों से लंबित याचिका पर सुनवाई के समय मनसे प्रमुख राज ठाकरे के निर्देशानुसार उनके वरीय अधिवक्ता अनुपम लाल दास ने न्यायालय के समक्ष अपनी याचिकाकर्ता राज ठाकरे के माध्यम से कहा की मेरे भाषण से किसी भी समुदाय के लोगों को ठेस पहुंचाने का काम किया या कार्य किया है तो याचिकाकर्ता राज ठाकरे अपनी बिना शर्त माफी और अफसोस एवं दुख प्रकट करते हैं. तब शिकायतकर्ता के अधिवक्ता वरीय अनूप कुमार सिन्हा ने अपनी बात रखी कि अगर याचिकाकर्ता राज ठाकरे उत्तर भारतीयों बिहारियों एवं हिंदी भाषियो पर की गई अभद्र आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर माननीय न्यायालय में माफी मांग लेते हैं तो मुकदमा समाप्त करने का किसी प्रकार की आपत्ति नहीं बोल कर मुकदमा वापस भी ले लूंगा. दोनों पक्षों की सुनवाई के पश्चात दिनांक 13 मार्च 2023 को दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस जसमीत सिंह के न्यायालय ने उपरोक्त मुकदमा में मनसे प्रमुख राज ठाकरे के द्वारा माफीनामा स्वीकृत करते हुए अपना निर्णय सुनाते हुए मुकदमा को समाप्त कर दिया गया.
सम्मान की जीत- सुधीर पप्पू
दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश आने पर अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि उत्तर भारतीयों बिहारियों हिंदी भाषियों के लिए सम्मान की जीत है. न्यायालय सहयोगी, जमशेदपुर निवासी, पत्रकार, उत्तर भारतीय बिहारियों की ओर से दिए गए हौसले और समर्थन के प्रति आभार जताया. इस प्रकार के मुकदमे कर उत्तर भारतीयों की प्रतिष्ठा सम्मान दिलाने वाले अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू के कार्य की लोगों ने सराहना की है. उनके करीबी बधाई भी दे रहे हैं.
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