जमशेदपुर। मानगो एनएच 33 स्थित वसुन्धरा एस्टेट में चल रहे श्रीमद् भागवत और श्री पाशुपात्य व्रत शिवकथा महोत्सव ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन बुधवार को वृन्दावन से पधारे स्वामी वृजनंदन शास्त्री महाराज ने लक्ष्मी के आठ प्रकारों के बारे में वर्णन करते हुए बताया कि बेल पत्र में अखंड लक्ष्मी का वास होता है। व्यास जी महाराज ने कहा अगर गन्ने के रस से शिव लिंग का अभिषेक करते हैं तो धन प्राप्ति होती है अगर धन होगा तो धर्म की ध्वजा धर्म की अविरल धारा शिव भक्ति अपने आप निरंतर बहती रहेगी। इस कारण गन्ने के रस से शिव अभिषेक सबसे उत्तम है। महाराज जी ने अपने सुमधुर वाणी से शिव कथा की अमृत गंगा बहाते हुए कथा में शिव की सवारी यानी नंदी के बारे में विस्तार से वर्णन किया। कहा कि नंदी के चार पद है पद यानी पैर और चारों पदों का अपना-अपना महत्व है। पहला यानी दाहिना पैर धर्म का, धर्म मतलब महादेव की भक्ति के लिए है। आप देखते होंगे नंदी का दाहिना पैर सबसे आगे है जो धर्म के लिए शिव भक्ति के लिए बढ़ रहा है। दूसरा अर्थ के लिए और इसी तरह अन्य पद, तप और मोक्ष के लिए है। कथा वाचक ने कहा कि नर्मदा तट पर जो पत्थर है वह निरंतर धीरे-धीरे बढ़ता है पर अगर वही पत्थर हमारे घर में हो तो स्थिर होता है तो यह नर्मदा जी की शक्ति है। इस तरह नर्मदा पर जो पत्थर है वह एक-एक पत्थर और कंकड़ में भगवान शंकर का रूप है। इसी तरह महाराज श्री ने बताया कि शिव जी को बेलपत्र किस तरह से अर्पित करना चाहिए। महादेव को अर्पित बेलपत्र का क्या तरीका है ताकि भगवान शंकर प्रसन्न हो और सर्व कार्य सिद्ध होते है।
व्यासपीठ पर आसीन होकर कथा के माध्यम से भगवान श्री शिव के अलग-अलग रूपों की जीवंत झांकियों का दर्शन कराया। शिव कथा के दौरान हुए भजन संगीत कार्यक्रम एवं धार्मिक धुन पर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया। आज के मुख्य यजमान किरण-उमा शंकर शर्मा थे।
आज विभिन्न राजनीतिक एंव सामाजिक संगठन के गणमान्य दिनेशानन्द गोस्वामी, देवेन्द्र सिंह, शैलेंद्र सिंह, सत्यनेद्र सिंह, अविनाश सिंह, सत्यप्रकाश, प्रेम, अजय सिंह, लड्डू सिंह, रीता मिश्रा, महावीर मूर्मू, दिनेश शर्मा, दिलीप पोद्दार, शिव शंकर सिंह, मुन्ना अग्रवाल, गुरमीत सिंह, आर के सिंह आदि ने शिव और बांके बिहारी के दरबार में हाजरी लगायी और कथा का आनन्द लिया। साथ ही स्वामी वृजनंदन शास्त्री से आर्शीवाद लिया और झारखंड के विकास की प्रार्थना की। आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में कृष्ण शर्मा काली, जयप्रकाश शर्मा, गोविन्दा शर्मा, राखी शर्मा, रवि शर्मा, चंदन शर्मा, शत्रुधन शर्मा, श्रवण शर्मा, का योगदान रहा।