जमशेदपुर : सालखन मुर्मू ने बिहार में एक प्रेसवार्ता करके जदयू छोड़ने की घोषणा कर दी है। इससे नाराजा चाईबासा जदयू के नेताओं ने उनके खिलाफ बोलना भी शुरू कर दिया है। इसको लेकर चाईबासा के पूर्व प्रत्याशी बिमल सुंब्रुई उर्फ हिटलर, मनोहरपुर की पूर्व प्रत्याशी डिंपल मुंडा, मनोज उर्फ विश्राम मुंडा, जिला उपाध्यक्ष राहूल सिंह, कमलेश सिंह, जिला अध्यक्ष उषारानी महतो आदि ने आपस में विचार-विमर्श करके सालखन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नेताओं ने कहा कि सालखन मुर्मू अवसरवादी नेता हैं। वे काम निकलते ही पार्टी छोड़कर दूसरे दल में शरीक हो जाते हैं। नेताओं ने कहा कि अब सालखन मुर्मू तृणमूल कांग्रेस की राह देख रहे हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को आज सराहा है, लेकिन वे कल ममता की पार्टी को भी छोड़ देंगे।
इन पार्टियों में रह चुके हैं सालखन मुर्मू
सालखन मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत भाजपा से की थी। भाजपा से ही वे मयूरभंज के सांसद भी बने थे। भाजपा को छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई थी। पार्टी का नाम है झारखंड दिशोम पार्टी। भाजपा के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था। उन्होंने जमशेदपुर लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी का टिकट भी दिया गया था, लेकिन तब भारी विरोध के कारण रातों-रात उनकी टिकट को कैंसल कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने जेवीएम का भी दामन थामा था। इस बीच वे दोबारा भाजपा में भी शामिल हुए थे। फिलहाल वे जदयू में हैं और जदयू से भी इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। उनका कहना है कि जदयू आदिवासियों के हित में काम नहीं करना चाहती है।
शिकारीपाड़ा और मझगांव से जदयू की टिकट पर लड़े थे विस चुनाव
जदयू में शामिल होने के बाद सालखन मुर्मू को झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने पिछली बार विधानसभा चुनाव दुमका के शिकारीपाड़ा टीस और पश्चिमी सिंहभूम में मझगांव से चुनाव लड़ा था। दोनों विधानसभा सीट पर उनकी हार हुई थी। वे 1600 पर ही सिमट कर रह गए थे।