जमशेदपुर : सरना धर्म कोड की घोषणा अगर 31 जनवरी तक केंद्र सरकार की ओर से नहीं की जाती है तो आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से अगले 31 जनवरी को राष्ट्रव्यापी रेल चक्का जाम किया जाएगा। इसकी घोषणा सालखन मुर्मू ने कदमा आवास पर बुधवार को प्रेसवार्ता के माध्यम से की। भारत देश ने अबतक लगभग 15 करोड़ आदिवासियों को अनेकों संवैद्धानिक और कानूनी न्याय प्रदान नहीं किया है। इसमें उनकी प्रकृति पूजक धार्मिक पहचान और आजादी का मुद्दा अहम है। इसके लिए सभी पार्टी के लोग, धार्मिक, सामाजिक संस्थान और बुद्धिजीवी लोग दोषी हैं। सालखन ने आशा व्यक्त की है कि 2021 में शायद आदिवासियों को न्याय मिलेगा। सरना धर्म कोड को लेकर 6 दिसंबर की बंद हो अभूतपूर्व बताया। 5 राज्यों में 15 रेलवे स्टेशनों पर चक्का जाम किया गया था। इसके लिए झारखंड, बिहार, बंगाल और ओड़िशा से पूरा समर्थन मिल रहा है। इस आंदोलन में जदयू का भी साथ मिल रहा है। इसको लेकर डीसी के माध्याम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने का काम किया जाएगा। सरना धर्म सगाड़ या रथ 20 से 31 दिसंबर तक चलया जाऐगा। नए साल में सभाओं का भी आयोजन करके लोगों को जागरूक किया जाएगा। 13 दिसंबर को रांची करमटोली में बैठक की जाएगी। इसी तरह से 14 दिसंबर को लोहरदगा, 15 दिसंबर को हजारीबाग, 16 दिसंबर को खुंटी में 17 दिसंबर को कोनावाडीह में और 18 दिसंबर को चांडिल गंगुडी में बैठक करने का निर्णय लिया गया है। बैठक में सालखन मुर्मू के अलावा प्रदेश अध्यक्ष सुमित्रा मुर्मू, संयोजक फूलचंद तिर्की, केंद्रीय सरना समिति के सत्यनारायण लकड़ा आदि मौजूद होंगे।
डेढ़ दशक से हो रहा आंदोलन
सरना धर्म कोड को लेकर पिछले डेढ़ दशक से सालखन मुर्मू की ओर से आंदोलन किया जा रहा है। जिले से लेकर केंद्र सरकार तक मामले को पहुंचाने का काम किया जा रहा है। बावजूद अभी तक इस दिशा में सिर्फ सरना धर्म को कॉलम मिलने तक की आस जगी है। राज्य सरकार ने कॉलम का प्रस्ताव पास करके केंद्र को भेज दिया है।