जमशेदपुर।
हाल के दिनों में गुरुद्वारों में सरोपा देकर सम्मान करने का एक फ़ैशन सा चल पड़ा है इस प्रचलन के विरोध स्वरूप प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी का कहना है कि सरोपा की जगह पगड़ी देकर सम्मान करें गुरु घर के सेवादार।
इससे पूर्व प्रचारक सरबजीत सिंह धुँधा और कीर्तन गायक मनप्रीत सिंह भी सरोपा सम्मान के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद कर चुके हैं।
सिक्ख पंथ के प्रचारक भाई सरबजीत सिंह धुंदा एवं महान कीर्तनी भाई मनप्रीत सिंह कानपुरी जी के सिरोपा ना देने तथा उस पैसे से ग़रीब सिख परिवार की मदद के फ़ैसले का जमशेदपुरी ने स्वागत किया है।
हरविंदर सिंह जमशेदपुरी का कहना है कि आमंत्रण पर बाहर से आने वाले सभी कीर्तनी जत्थे या प्रचारक को गुरद्वारा कमेटियाँ ग़ुरबानी से जुड़े आधारित स्लोगन वाले मेमेंटो देकर या पगड़ी भेंटकर सम्मान करे ताकि वह सम्मान उनके कुछ काम भी आ सके।
जमशेदपुरी के अनुसार ग़ुरबानी के सालोगन को घरों की दिवारो में लगाया जा सकता है और ग़ुरबानी शब्द हमारी ज़िंदगी में बदलाव लाने का काम करती है। पगड़ी का भी महत्व बहुत बड़ा है जिसे ताज के रूप में गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने हर सिख को दिया। उन्होंने कहा शहर के गुरु घर के सेवादार ग्रंथी या कीर्तनीयो को भी इस बाबत अवाज उठाने की ज़रूरत है।
हरविंदर ने गुरु घर के सेवादारों, ग्रंथी सिंह प्रचारको के बच्चो को भी बेहतर सुवधाये अच्छी शिक्षा देने की वकालत पहले भी जमशेदपुर के गुरुद्वारा कमेटियों से कर चुकें हैं।