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JAMSHEDPUR : सुकना बस्ती में करम पर्व पर दिखी आदिवासी संस्कृति की छटा
संस्कृति के झारखंडी कैलेंडर के अनुसार करम पर्व वर्षों से भाद्र महीने में ही मनाया जाता है. बांग्ला और हिंदी केलैंडर के अनुसार इस बार करम आश्विन महीने में होगा जो झारखंडी संस्कृति के इतर है. इसलिए अपने संस्कृति से करम मनाया. करम पर्व बिजों की संरक्षण और जांच का पर्व है. यदि 9 दिन से पर्व प्रारम्भ किया जाता है तो 9 तरह के बिजों को अंकुरित किया जाता है. 5 दिनों से प्रारम्भ करने से 5 तरह के बीज और 3 दिनों से प्रारम्भ करने से 3 तरह का बिजों को अंकुरित किया जाता है. आयोजन कमेटी में जीत, वरुण, राकेश, रौनक, संध्या रानी महतो, दिलीप कुमार महतो, काकोली महतो, मदन महतो, सिवानी महतो, नेपाल महतो, पूर्णिमा महतो, दीपक रंजीत आदि मौजूद थे.
जमशेदपुर : बालिगुमा करम आखड़ा कमेटी की ओप से वार्षिक करम पर्व का आयोजन सुखना बस्ती में किया गया. मौके पर आदिवासी संस्कृति की छटा देखते ही बन रही थी. 9 दिनों तक 18 युवतियों ने उपवास कर बिज को अंकुरित करने के लिए छोड़ा. सबसे पहले करम डाली को करम आखड़ा में लगाया गया. शाम को पारम्परिक तरीके से पूजा अर्चना की गई.
नृत्य में बालिगुमा समेत 10 नृत्य टीमों ने हिस्सा लिया. इसमें वर्षा, मोनिका, रुम्पा, जया, रिया, प्रिया, स्वीटी, परी, तानी, पीहू, सेफाली, इरा, वृष्टि, खुशी, माला, उमा, प्रीति, अनिशा शामिल थे.